पाठ 10 - एक कहानी यह भी है--मन्नू भंडारी ( Hindi - क्षितिज-2 )
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi
पाठ 10: एक कहानी यह भी है (मन्नू भंडारी)
(प्रश्न उत्तर, जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाएँ)
“मन्नू भंडारी” का जीवन परिचय एवं साहित्यिक योगदान
जीवन परिचय
मन्नू भंडारी (जन्म: 3 अप्रैल 1931) हिंदी साहित्य की प्रमुख कथाकार और उपन्यासकार थीं। उनका वास्तविक नाम महेंद्र कुमारी भंडारी था। उनका जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता सुखसम्पत राय एक प्रसिद्ध लेखक थे, जिन्होंने “मनोहर कहानियाँ” पत्रिका का संपादन किया। मन्नू भंडारी की शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हुई, जहाँ से उन्होंने हिंदी साहित्य में एम.ए. किया।
वे मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत रहीं। उनका विवाह हिंदी के प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव से हुआ, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए। मन्नू भंडारी ने अपने जीवन में अनेक सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना किया, जिसका प्रभाव उनके साहित्य में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
साहित्यिक योगदान
मन्नू भंडारी ने हिंदी साहित्य को कहानियों, उपन्यासों और नाटकों के माध्यम से समृद्ध किया। उनकी रचनाओं में मध्यवर्गीय समाज की स्त्री की मनोदशा, पारिवारिक संबंधों की जटिलताएँ और सामाजिक विसंगतियों का मार्मिक चित्रण मिलता है। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है, जिसमें गहन मनोवैज्ञानिक विश्लेषण झलकता है।
प्रमुख रचनाएँ
1. कहानी संग्रह
“मैं हार गई” (1957)
“तीन निगाहों की एक तस्वीर” (1959)
“यही सच है” (1966)
“त्रिशंकु” (1988)
2. उपन्यास
“आपका बंटी” (1971) – यह उनका सबसे चर्चित उपन्यास है, जिसमें एक बच्चे (बंटी) की मनोदशा और तलाकशुदा परिवार के दर्द को उकेरा गया है।
“महाभोज” (1979) – राजनीतिक और सामाजिक भ्रष्टाचार पर एक प्रहार।
“एक इंच मुस्कान” (1962) – राजेंद्र यादव के साथ सह-लिखित उपन्यास।
3. आत्मकथा एवं संस्मरण
“एक कहानी यह भी” (2007) – इसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और अनुभवों को बेहद ईमानदारी से व्यक्त किया है।
साहित्यिक विशेषताएँ
स्त्री-पुरुष संबंधों का यथार्थवादी चित्रण – मन्नू भंडारी ने नारी जीवन की समस्याओं को गहराई से उठाया।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण – उनकी रचनाओं में पात्रों के अंतर्द्वंद्व को बखूबी दर्शाया गया है।
सामाजिक यथार्थ – उन्होंने मध्यवर्गीय समाज की विडंबनाओं को बेबाकी से प्रस्तुत किया।
पुरस्कार एवं सम्मान
हिंदी अकादमी पुरस्कार (1982)
महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार (2008)
शिखर सम्मान (मध्य प्रदेश सरकार)
निधन
मन्नू भंडारी का 15 नवंबर 2021 को निधन हो गया। उनका साहित्य आज भी पाठकों और आलोचकों के बीच प्रासंगिक बना हुआ है।
निष्कर्ष
मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की एक ऐसी रचनाकार थीं, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज के छिपे हुए सच को उजागर किया। उनकी रचनाएँ न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि पाठकों को सोचने पर भी मजबूर कर देती हैं। उनका योगदान हिंदी कथा-साहित्य को एक नई दिशा देने वाला रहा है।
पाठ 10: एक कहानी यह भी है (मन्नू भंडारी) प्रश्न उत्तर
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प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा ?
उत्तर 1:
- पिता का प्रभाव:
लेखिका के व्यक्तित्व पर उसके पिता का गहरा प्रभाव पड़ा। पिता को गोरा रंग अधिक पसंद था, जबकि लेखिका का रंग काला था और उसकी बड़ी बहन सुशीला गोरी थी। इस वजह से पिता सुशीला को अधिक सराहते और पसंद करते थे। इस भेदभाव ने लेखिका के मन में हीनभावना विकसित कर दी। पिता का प्रभाव कभी कुंठा, कभी प्रतिक्रिया और कभी प्रतिच्छाया के रूप में उसके व्यक्तित्व में दिखा। - माँ का प्रभाव:
लेखिका की माँ धैर्य और सहनशीलता की मिसाल थीं। उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों की ज़रूरतों और इच्छाओं को पूरा करने में खुद को समर्पित कर दिया। हालाँकि, माँ का यह त्याग लेखिका के लिए प्रेरणादायक आदर्श नहीं बन सका। इसके विपरीत, माँ की विवशता ने लेखिका के मन में पुरुषों के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह का भाव पैदा किया। - शीला अग्रवाल का प्रभाव:
लेखिका पर शीला अग्रवाल की साहित्यिक रुचि और संघर्षशील स्वभाव का गहरा प्रभाव पड़ा। उनके संपर्क में आने से लेखिका के साहित्यिक दृष्टिकोण का विस्तार हुआ। वह देश और समाज की समस्याओं के प्रति अधिक जागरूक हुई और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगी। शीला अग्रवाल के प्रभाव से लेखिका के व्यक्तित्व में संघर्षशीलता और जुझारूपन विकसित हुआ।
प्रश्न 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर: 2
- लेखिका के पिता का मानना था कि रसोई के काम में उलझने से लड़कियों की क्षमता और प्रतिभा व्यर्थ हो जाती है।
- उनका विचार था कि रसोई के काम में उलझकर लड़कियां केवल खाना बनाने और खाने तक ही सीमित रह जाती हैं, जिससे वे अपनी असली प्रतिभा को पहचान नहीं पातीं।
- वे मानते थे कि रसोई वह स्थान है जहां लड़कियों की संभावनाओं और प्रतिभा को जैसे “भट्टी” में झोंक दिया जाता है। इसी वजह से उन्होंने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहा।
प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर ?
उत्तर: 3
- एक दिन कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया जिसमें लिखा था कि लेखिका के पिताजी कॉलेज आकर यह बताएं कि लेखिका की गतिविधियों के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। यह पत्र पढ़कर पिताजी गुस्से में कॉलेज गए, लेकिन जब वे लौटे, तो बहुत खुश थे।
- वे लेखिका की तारीफ करते हुए कहने लगे कि पूरे कॉलेज की लड़कियों पर तेरा इतना प्रभाव है कि तुझसे एक इशारा मिलते ही वे क्लास छोड़कर मैदान में आकर नारे लगाने लगती हैं।
- पिताजी ने यह भी बताया कि वे गर्व से यह कहने आए हैं कि स्वतंत्रता संग्राम तो पूरे देश का मुद्दा है, इसे कोई भी नहीं रोक सकता।
- पिताजी से ऐसी तारीफ सुनकर लेखिका को अपनी आँखों और कानों पर विश्वास नहीं हुआ।
प्रश्न 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: 4
- कॉलेज के दिनों में लेखिका का स्वभाव विद्रोही हो गया था, और उनके भीतर देश की आज़ादी के लिए संघर्ष की भावना प्रबल हो चुकी थी।
- हालांकि उनके पिता भी देश की परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील थे, लेकिन वे मानते थे कि लड़कियों की भूमिका घर की सीमाओं तक ही सीमित होनी चाहिए।
- इस सोच को लेकर लेखिका और उनके पिता के बीच वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गए।
- लेखिका केवल विचारों से नहीं, बल्कि अपने कार्यों के माध्यम से भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेना चाहती थीं।
- उनका नारे लगाना, हड़ताल आयोजित करना और लड़कों के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करना उनके पिता को अस्वीकार्य था।
- वहीं, लेखिका को भी अपने पिता द्वारा तय की गई सीमाओं के भीतर रहना स्वीकार नहीं था।
प्रश्न 5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जो को भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर 5: स्वतंत्रता संग्राम का परिदृश्य: – साल 1942 के आंदोलन के बाद पूरे देश में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ। हर जगह राजनैतिक सभाओं का आयोजन होने लगा, जहाँ तीव्र विचार-विमर्श होता। क्रांतिकारियों और शहीदों के बलिदान ने युवाओं को प्रेरित किया, जिससे वे पूरे जोश और समर्पण के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। शहरों में प्रभात फेरियाँ, हड़तालें, जुलूस और भाषण आम हो गए थे।
मन्नू भंडारी का योगदान:- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मन्नू भंडारी अजमेर के सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा थीं। उन्होंने विद्यालय की छात्राओं का नेतृत्व करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में छात्राएँ स्वतंत्रता के नारे लगाते हुए मैदान में जुट जातीं। मन्नू जी ने शहर में हड़तालें, प्रभात फेरियाँ और जुलूस संगठित किए।
जब आज़ाद हिंद फौज के मुकदमे का दौर आया, तब अजमेर के विद्यार्थियों ने हड़ताल का आह्वान किया। शाम को मुख्य बाज़ार के चौराहे पर छात्रों की भीड़ एकत्र हुई, जहाँ मन्नू भंडारी ने जोशीला भाषण दिया। इस भाषण की खूब प्रशंसा हुई। हालांकि इसके बाद मन्नू जी के विद्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दी गई, लेकिन छात्राओं के विरोध के बाद उन्हें फिर से विद्यालय में आने की अनुमति मिल गई।

रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
उत्तर 6- पहले समाज में लड़कियों की भूमिका घर की चारदीवारी तक सीमित मानी जाती थी। लेकिन आज स्थितियाँ पूरी तरह बदल गई हैं।
- वर्तमान समय में लड़कियाँ हर क्षेत्र में लड़कों के समान कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।
- शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी वे लड़कों से किसी भी मायने में पीछे नहीं हैं।
- अब लड़कियों पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है।
- वे विभिन्न नौकरियों, व्यवसायों, समाजसेवा और राजनीति में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
- खेल-कूद और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी लड़कियाँ बिना किसी रोक-टोक के शीर्ष स्थान हासिल कर रही हैं।
यह बदलाव समाज की प्रगतिशील सोच और लड़कियों की मेहनत का परिणाम है।
प्रश्न 7. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्रायः ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर 7: महानगरों में रहने वाले लोग आमतौर पर अपनी व्यस्त जीवनशैली के कारण पड़ोसियों से घनिष्ठ संबंध नहीं बना पाते।
- उनकी दिनचर्या अत्यधिक व्यस्त रहती है, जिससे पड़ोसियों से मिलने-जुलने का समय नहीं मिलता।
- यहाँ जीवन का प्राथमिक उद्देश्य अधिकतर आर्थिक उन्नति बन जाता है, और लोग अपनी अधिकांश ऊर्जा पैसा कमाने में खर्च करते हैं।
- पड़ोसियों के साथ घनिष्ठता की कमी के कारण वे उनके सुख-दुख में शामिल नहीं हो पाते।
- बच्चों को भी खेल-कूद और सामाजिकता के लिए साथियों की कमी महसूस होती है।
- इन सभी कारणों से महानगरों के लोग पड़ोस संस्कृति से वंचित रह जाते हैं, जिससे सामाजिक बंधन कमजोर हो जाते हैं।
महानगरों में पड़ोस संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक गतिविधियों और आपसी मेलजोल को प्रोत्साहित करना चाहिए।
प्रश्न 8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों को सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए ।
उत्तर 8- मन्नू भंडारी, एक प्रसिद्ध हिंदी लेखिका, जिन्होंने अपनी लेखनी से पाठकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। उनके द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची में कुछ महत्वपूर्ण नाम निम्नलिखित हैं:
- सुनीता – इस उपन्यास में लेखिका ने मानवीय संबंधों और उनके जटिल पहलुओं को बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित किया है।
- शेखर : एक जीवनी – यह उपन्यास भारतीय समाज और व्यक्ति की आंतरिक यात्रा को दर्शाता है, जिसमें व्यक्ति के व्यक्तित्व की जटिलता को उजागर किया गया है।
- नदी के द्वीप – इस उपन्यास में लेखिका ने समाज के भिन्न-भिन्न वर्गों की मानसिकता और संवेदनाओं को चित्रित किया है।
- त्यागपत्र – यह उपन्यास त्याग और बलिदान की भावना को गहरे रूप से समझाने का प्रयास करता है, जिसमें पात्रों के संघर्षों को प्रमुखता दी गई है।
- चित्रलेखा – इस उपन्यास में लेखिका ने प्रेम, बलिदान और धर्म के साथ-साथ समाज की संरचना पर विचार किए हैं।
इन उपन्यासों को पढ़ते हुए पाठक भारतीय समाज और मानसिकता के विभिन्न पहलुओं से परिचित होते हैं। आप इन्हें अपने पुस्तकालय में खोज सकते हैं और इनके माध्यम से मन्नू भंडारी की लेखनी को और गहराई से समझ सकते हैं।
प्रश्न 9. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
उत्तर 9- डायरी प्रविष्टि: 10 दिसंबर 2024
आज का दिन सामान्य सा था, लेकिन फिर भी कई छोटी-छोटी बातें मुझे महसूस हुईं। सुबह उठते ही ताजगी का अहसास हुआ, शायद रात की अच्छी नींद का असर था। चाय का कप हाथ में लेकर खिड़की से बाहर देखा, हल्की धुंध थी और ठंडी हवा के झोंके महसूस हो रहे थे। ठंड में खड़े होकर, थोड़ा वक्त खुद के साथ बिताना हमेशा अच्छा लगता है।
दोपहर में थोड़ा काम किया, कुछ नई जानकारी पढ़ी और कुछ लेखों पर काम किया। इस बीच, एक दोस्त से फोन पर बात हुई। हमेशा की तरह वह काफी मज़ाकिया था, और उसकी बातें मेरे चेहरे पर मुस्कान ले आईं। कभी-कभी अच्छे दोस्त होने से ज़िंदगी थोड़ी हलकी महसूस होती है।
शाम को थोड़ा वक्त अपने शौक के लिए निकाला। कुछ किताबें पढ़ी और फिर बगीचे में बैठकर चाय का आनंद लिया। प्रकृति से जुड़ना हमेशा राहत देता है, और यह दिन को बेहतर बनाने में मदद करता है। आज का दिन काफी सुकून देने वाला था, और मुझे लगता है कि इस तरह की छोटी-छोटी खुशियाँ जीवन को पूरी तरह से भर देती हैं।
अब रात को सोने से पहले थोड़ा सोच रहा हूं, कल क्या नया कर सकता हूं, किसे और क्या सिखा सकता हूं। यह छोटे लक्ष्य ही अक्सर जीवन में सबसे ज्यादा मायने रखते हैं।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 10. इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाए।
(क) इस बीच पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जो को लू उतारी।
(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जो सारे दिन भभकते रहे।
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ ।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला।
उत्तर 10:
(क) उसने अपनी गलती मानने के बजाय मेरी लू उतारी और मुझे ही दोषी ठहरा दिया।
(ख) अनिल ने अपने दोस्तों को धोखा दिया, फिर वे सभी आग लगाकर उसे छोड़ गए।
(ग) गाँव में शोर मचने के बाद लोग उसके ऊपर थू-थू करने लगे और उस पर उंगली उठाने लगे।
(घ) राजीव को समझाने की कोशिश करते ही उसकी मां आग-बबूला हो गई।
पाठेतर सक्रियता
छात्र / छात्राएँ स्वयं करें।
- इस आत्मकथ्य से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे लेखिका का परिचय साहित्य की अच्छी पुस्तकों से हुआ। आप इस जानकारी का लाभ उठाते हुए अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू कर सकते हैं। कौन जानता है कि आप में से ही कोई अच्छा पाठक बनने के साथ–साथ अच्छा लेखक भी बन जाए ।
उत्तर: अच्छी साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने का सिलसिला शुरू करना: मन्नू भंडारी की आत्मकथ्य से यह समझ आता है कि कैसे साहित्य के प्रति प्रेम और अच्छी पुस्तकों का अध्ययन व्यक्ति को लेखन के प्रति प्रेरित करता है। आप भी अच्छे साहित्यिक पुस्तकों की पढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें जैसे:
- गोदान (मुंशी प्रेमचंद)
- कर्मभूमि (प्रेमचंद)
- एक थी सुमित्रा (मन्नू भंडारी)
- राग दरबारी (शंकर)
इन पुस्तकों से न केवल आपका ज्ञान बढ़ेगा, बल्कि लेखन के प्रति रुचि भी जागेगी। कोई नहीं जानता कि आप खुद एक लेखक बन सकते हैं।
- लेखिका के बचपन के खेलों में लंगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो आदि शामिल थे। क्या आप भी यह खेल खेलते हैं। आपके परिवेश में इन खेलों के लिए कौन-से शब्द प्रचलन में हैं। इनके अतिरिक्त आप जो खेल खेलते हैं उन पर चर्चा कीजिए ।
उत्तर: बचपन के खेलों पर चर्चा: मन्नू भंडारी के बचपन के खेलों में लंगड़ी टाँग, पकड़म-पकड़ाई और काली-टीलो जैसे खेल शामिल थे। क्या आप भी इन खेलों को खेलते हैं? यदि हाँ, तो आपके परिवेश में इन खेलों को खेलने के लिए कौन-से शब्द प्रचलित हैं? उदाहरण स्वरूप:
- लंगड़ी टाँग को “लंगड़ी” के नाम से जाना जा सकता है, जबकि “काली-टीलो” कुछ स्थानों पर “गिंटी” या “कंचे” के रूप में प्रसिद्ध हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, अगर आप अन्य खेलों के बारे में जानते हैं तो उन पर भी चर्चा कीजिए। कुछ उदाहरण हो सकते हैं:
- क्रिकेट
- फुटबॉल
- कबड्डी
- बैडमिंटन
- स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। उनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए और उनमें से किसी एक पर प्रोजेक्ट तैयार कीजिए ।
उत्तर- स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका: स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आप विभिन्न महिलाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जिन्होंने इस आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उदाहरण के तौर पर:
- सुभद्राकुमारी चौहान: जिन्होंने संघर्ष की प्रेरणादायक कविताएँ लिखीं।
- कस्तूरबा गांधी: महात्मा गांधी के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं।
- रानी लक्ष्मीबाई: झाँसी की रानी जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
आप इनमें से किसी एक महिला पर प्रोजेक्ट तैयार कर सकते हैं, जिसमें उनके जीवन और योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की जा सकती है।
पाठ 10: एक कहानी यह भी है (मन्नू भंडारी) पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: लेखिका का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर 1: लेखिका मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था, लेकिन उनकी स्मृतियाँ अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले से जुड़ी हैं। वहाँ उनका परिवार एक दोमंजिला मकान में रहता था, जहाँ पिताजी ऊपरी मंजिल पर अव्यवस्थित किताबों के बीच पढ़ते या डिक्टेशन देते रहते थे।
प्रश्न 2: पिताजी की दरियादिली के क्या उदाहरण हैं?
उत्तर 2: पिताजी ने इंदौर में 8–10 विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ाया, जिनमें से कई उच्च पदों पर पहुँचे। उनकी उदारता के कारण लोग उन्हें सम्मान देते थे। हालाँकि, आर्थिक संकट आने के बाद उनका यह स्वभाव धीरे-धीरे कम हो गया, और वे अधिक क्रोधी व शक्की होते चले गए।
प्रश्न 3: माँ का व्यक्तित्व कैसा था?
उत्तर 3: मन्नू भंडारी की माँ अनपढ़, सहनशील और परिवार की सेवा में समर्पित थीं। वे पिता की हर आज्ञा और बच्चों की हर माँग को बिना प्रश्न किए पूरा करती थीं। लेखिका के अनुसार, उनका त्याग असहाय मजबूरी की वजह से था, जिसे वे कभी अपना आदर्श नहीं मान पाईं।
प्रश्न 4: पिताजी का शक्की स्वभाव क्यों बन गया?
उत्तर 4: आर्थिक संकट और “अपनों” द्वारा किए गए विश्वासघात ने पिताजी को अत्यधिक संदेही बना दिया। वे हमेशा डरते रहते थे कि कोई उन्हें धोखा न दे दे। यहाँ तक कि उन्हें अपने बच्चों पर भी भरोसा नहीं रहा, और वे छोटी-छोटी बातों पर भी गुस्सा करने लगे।
प्रश्न 5: लेखिका को हीनभावना क्यों हो गई?
उत्तर 5: गोरी, स्वस्थ और हँसमुख बहन सुशीला से लगातार तुलना और पिता द्वारा उसकी प्रशंसा ने लेखिका के मन में हीनभावना भर दी। यह भावना इतनी गहरी थी कि बड़े होकर भी, नाम और प्रतिष्ठा मिलने के बावजूद, वह अपनी उपलब्धियों को “तुक्का” समझती थीं।
प्रश्न 6: लेखिका के पिता की दिनचर्या कैसी थी?
उत्तर 6: लेखिका के पिता अजमेर के उनके दोमंजिला घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जहाँ वे अव्यवस्थित ढंग से बिखरी पुस्तकों, पत्रिकाओं और अखबारों के बीच या तो पढ़ते रहते थे या डिक्टेशन देते थे। उनका यह कार्यक्षेत्र उनके लिए एक साम्राज्य जैसा था, जहाँ वे अपने विचारों और लेखन में डूबे रहते थे।
प्रश्न 7: पिता के व्यक्तित्व में कौन-सा विरोधाभास था?
उत्तर 7: पिता एक ओर बेहद कोमल और संवेदनशील थे, जो समाज-सुधार और शिक्षा के प्रति समर्पित थे, तो दूसरी ओर वे अहंकारी और क्रोधी भी थे। आर्थिक संकट और विश्वासघात ने उन्हें शक्की बना दिया था, जिससे उनका व्यवहार अप्रत्याशित हो गया था।
प्रश्न 8: माँ के त्याग को लेखिका किस रूप में देखती थी?
उत्तर 8: लेखिका की माँ ने स्वयं के लिए कभी कुछ नहीं माँगा और पूरे परिवार की सेवा में ही अपना जीवन समर्पित कर दिया। हालाँकि, लेखिका इसे उनकी मजबूरी मानती थीं, न कि आदर्श। उनके अनुसार, माँ का यह त्याग समाज द्वारा थोपी गई असहायता का प्रतीक था।
प्रश्न 9: लेखिका के बचपन का मोहल्ला कैसा था?
उत्तर 9: अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में लेखिका का बचपन बीता, जहाँ घर की दीवारें पूरे मोहल्ले तक फैली हुई थीं। वहाँ के लोग एक-दूसरे के घरों में आते-जाते थे और कुछ परिवार तो उनके अपने ही जैसे थे। यह “पड़ोस-कल्चर” उनके लिए सुरक्षित और स्नेहिल था।
प्रश्न 10: शीला अग्रवाल ने लेखिका को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 10: शीला अग्रवाल ने लेखिका को साहित्य की गहरी समझ दी और चुनिंदा किताबें पढ़ने को प्रेरित किया। उन्होंने उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे लेखिका के जीवन की दिशा ही बदल गई।
प्रश्न 11: पिता ने लेखिका को रसोई से दूर क्यों रखा?
उत्तर 11: पिता रसोई को “भटियारखाना” मानते थे और चाहते थे कि लेखिका अपनी प्रतिभा को वहाँ न गँवाए। उनका मानना था कि लड़कियों को केवल घर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।
प्रश्न 12: सुशीला से तुलना ने लेखिका को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 12: सुशीला, लेखिका से दो साल बड़ी, गोरी, स्वस्थ और हँसमुख थी, जबकि लेखिका काली और दुबली थीं। पिता द्वारा लगातार की गई तुलना ने लेखिका के मन में हीनभावना भर दी, जिससे वे आजीवन संघर्ष करती रहीं।
प्रश्न 13: 15 अगस्त 1947 को लेखिका ने क्या महसूस किया?
उत्तर 13: 15 अगस्त 1947 को देश की आज़ादी की खुशी के सामने लेखिका की व्यक्तिगत उपलब्धियाँ (जैसे कॉलेज में हड़ताल करवाना) फीकी पड़ गईं। यह दिन उनके लिए शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि था, जिसने उन्हें राष्ट्रीय गौरव का अनुभव कराया।
दीर्घ प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: मन्नू भंडारी के पिता के व्यक्तित्व की विशेषताओं का वर्णन करें। उनके अंतर्विरोधों ने मन्नू के जीवन को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 1: मन्नू भंडारी के पिता का व्यक्तित्व अत्यंत जटिल और विरोधाभासी था। वे एक ओर जहाँ समाज-सुधारक, शिक्षा प्रेमी और दयालु थे, वहीं दूसरी ओर अहंकारी और क्रोधी भी थे। उन्होंने इंदौर में कई विद्यार्थियों को निःशुल्क पढ़ाया, जो बाद में उच्च पदों पर पहुँचे।
हालाँकि, आर्थिक संकट और विश्वासघात ने उन्हें शक्की बना दिया। उनकी यह द्वंद्वात्मक प्रकृति मन्नू भंडारी के बचपन को प्रभावित करती रही। एक ओर उन्होंने मन्नू को शिक्षा और स्वतंत्र विचारों के लिए प्रोत्साहित किया, तो दूसरी ओर समाज की मर्यादाओं के नाम पर उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास किया। यह टकराव मन्नू भंडारी के लेखन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जहाँ पारिवारिक संघर्ष और सामाजिक बंधनों की पीड़ा को उकेरा गया है।
प्रश्न 2: मन्नू भंडारी की आत्मकथा ‘एक कहानी यह भी’ में माँ के चरित्र की क्या भूमिका है? वह पिता के व्यक्तित्व से किस प्रकार भिन्न थीं?
उत्तर 2: मन्नू भंडारी की आत्मकथा ‘एक कहानी यह भी’ में माँ का चरित्र एक सहनशील और त्यागमयी नारी का प्रतीक है। वह अनपढ़ होने के बावजूद पूरे परिवार की सेवा में लीन रहती थीं और पिता की हर आज्ञा का पालन करती थीं।
जहाँ पिता आधुनिक विचारों वाले, अहंकारी और कभी-कभी क्रोधी स्वभाव के थे, वहीं माँ शांत, धैर्यवान और परिवार के लिए समर्पित थीं। मन्नू भंडारी ने माँ के इस त्याग को एक मजबूरी के रूप में देखा, न कि आदर्श के रूप में। उनके लिए माँ का जीवन समाज द्वारा थोपी गई लाचारी का उदाहरण था, जबकि पिता का व्यक्तित्व सक्रिय और प्रभावशाली था।
यह अंतर मन्नू भंडारी के लेखन में नारीवादी दृष्टिकोण को उजागर करता है, जहाँ वह माँ की तरह विवश नहीं बनना चाहती थीं।
प्रश्न 3: शीला अग्रवाल ने मन्नू भंडारी के जीवन और लेखन को किस प्रकार आकार दिया?
उत्तर 3: शीला अग्रवाल, मन्नू भंडारी की हिंदी प्राध्यापिका, उनके जीवन की सबसे प्रभावशाली शिक्षिका थीं। उन्होंने मन्नू को साहित्य की गहरी समझ दी और चुनिंदा रचनाएँ (जैसे जैनेंद्र का ‘त्यागपत्र’, अज्ञेय का ‘नदी के द्वीप’) पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शीला अग्रवाल ने ही मन्नू भंडारी को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उनमें राजनीतिक चेतना जागृत हुई। इसके अलावा, शीला अग्रवाल के मार्गदर्शन में मन्नू भंडारी ने साहित्य को केवल पढ़ने की बजाय उस पर विचार-विमर्श करना सीखा, जो बाद में उनके लेखन की बुनियाद बना।
मन्नू भंडारी के उपन्यासों और कहानियों में नारी की स्वतंत्र चेतना और समाज के प्रति प्रश्नाकुलता शीला अग्रवाल के प्रभाव का ही परिणाम है।
प्रश्न 4: मन्नू भंडारी ने ‘एक कहानी यह भी’ में अपने बचपन के मोहल्ले को कैसे चित्रित किया है? इसने उनके लेखन को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 4: मन्नू भंडारी ने अपनी आत्मकथा ‘एक कहानी यह भी’ में अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले को एक जीवंत और सामुदायिक जीवन का केंद्र बताया है। उनके अनुसार, उस समय घर की दीवारें पूरे मोहल्ले तक फैली हुई थीं, जहाँ पड़ोसी एक-दूसरे के घरों में आते-जाते थे और कुछ परिवार तो उनके अपने ही जैसे थे।
इस ‘पड़ोस-कल्चर’ ने मन्नू भंडारी को सामाजिक संबंधों की गहरी समझ दी। बाद में उनकी कई कहानियों (जैसे ‘महाभोज’) के पात्र इसी मोहल्ले के लोगों से प्रेरित थे। मन्नू भंडारी ने लिखा है कि इन पात्रों की भाषा, व्यवहार और भाव-भंगिमाएँ उनके मन में इतनी गहराई से बस गई थीं कि वे बिना किसी प्रयास के उनके लेखन में उतर आए।
इस प्रकार, उनका बचपन का मोहल्ला न केवल उनकी स्मृतियों का हिस्सा बना, बल्कि उनके साहित्य की पृष्ठभूमि भी बना।
प्रश्न 5. मन्नू भंडारी के बचपन में हीनभावना के क्या कारण थे? यह उनके व्यक्तित्व को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 5: मन्नू भंडारी के बचपन में हीनभावना के मुख्य कारण उनकी गोरी और सुंदर बहन सुशीला से लगातार की जाने वाली तुलना थी। पिता द्वारा सुशीला की प्रशंसा और मन्नू की उपेक्षा ने उनके मन में गहरी हीनभावना पैदा कर दी। इसके अतिरिक्त, मन्नू का काला रंग और दुबला-पतला शरीर भी इस भावना को बढ़ाने में सहायक रहा।
इस हीनभावना का प्रभाव मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व पर जीवन भर रहा। वे अपनी उपलब्धियों को भी ‘तुक्का’ मानती थीं और प्रशंसा मिलने पर संकोच महसूस करती थीं। यह भावना उनके लेखन में भी झलकती है, जहाँ वे अक्सर सामाजिक रूढ़ियों और पारिवारिक पक्षपातों को चुनौती देती नजर आती हैं। उनकी रचनाओं में आत्मविश्वास की कमी से जूघते पात्र अक्सर दिखाई देते हैं, जो संभवतः उनके अपने अनुभवों से प्रेरित हैं।
प्रश्न 6. मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच टकराव के मुख्य कारण क्या थे? इन संघर्षों ने उनके लेखन को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर 6: मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच टकराव के प्रमुख कारण थे:
पिता की परंपरागत सोच और मन्नू की स्वतंत्रचेता प्रवृत्ति के बीच का अंतर
पिता का समाज में छवि बनाए रखने का आग्रह और मन्नू का राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी
पिता द्वारा लड़कियों के लिए निर्धारित सीमाओं को मन्नू का चुनौती देना
इन संघर्षों ने मन्नू भंडारी के लेखन को गहराई से प्रभावित किया। उनकी रचनाओं में पितृसत्तात्मक समाज की आलोचना स्पष्ट देखी जा सकती है। ‘महाभोज’ जैसे उपन्यासों में वे समाज के दोहरे मापदंडों को उजागर करती हैं। उनके पात्र अक्सर सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए दिखाई देते हैं, जो संभवतः उनके अपने जीवन के संघर्षों की अभिव्यक्ति है।
प्रश्न 7. मन्नू भंडारी के साहित्यिक विकास में अजमेर के मोहल्ले की क्या भूमिका थी?
उत्तर 7: अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले ने मन्नू भंडारी के साहित्यिक विकास में निम्नलिखित भूमिकाएँ निभाईं:
पात्रों की समृद्ध गैलरी: मोहल्ले के विविध पात्रों ने उनके साहित्य को जीवंत बनाया। ‘महाभोज’ जैसे उपन्यासों के अधिकांश पात्र इसी मोहल्ले के लोगों से प्रेरित थे।
भाषा और बोली: मोहल्ले की स्थानीय भाषा और बोलियों ने उनके लेखन को सहज और यथार्थपरक बनाया।
सामाजिक संरचना की समझ: मोहल्ले की सामाजिक संरचना को नजदीक से देखने का अवसर मिला, जिसने उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों को समझने में मदद की।
सामुदायिक जीवन का चित्रण: मोहल्ले के सामुदायिक जीवन ने उन्हें मानवीय संबंधों की बारीकियों को समझने में सहायता की, जो उनके लेखन की विशेषता बनी।
मन्नू भंडारी ने स्वयं लिखा है कि मोहल्ले के ये पात्र और उनकी जीवनशैली उनके मन में इतने गहरे बस गए थे कि वे स्वतः ही उनके लेखन में प्रकट होते चले गए। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में मध्यवर्गीय समाज का इतना सजीव चित्रण मिलता है।
प्रश्न 8. मन्नू भंडारी के राजनीतिक जागरूकता के विकास में किन कारकों ने योगदान दिया?
उत्तर 8: मन्नू भंडारी की राजनीतिक जागरूकता के विकास में निम्नलिखित कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:
पिता का प्रभाव: घर में होने वाली राजनीतिक चर्चाओं और विभिन्न नेताओं के आगमन ने उनमें प्रारंभिक रुचि जगाई।
शीला अग्रवाल का मार्गदर्शन: उनकी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने न केवल साहित्यिक बल्कि राजनीतिक चेतना भी विकसित की।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव: इस आंदोलन ने पूरे देश को प्रभावित किया और मन्नू के मन पर भी गहरी छाप छोड़ी।
1946-47 की राजनीतिक उथल-पुथल: स्वतंत्रता के ठीक पहले के वर्षों में देशभर में हो रही गतिविधियों ने उन्हें सक्रिय भागीदार बनाया।
कॉलेज की राजनीतिक गतिविधियाँ: कॉलेज में हड़तालें और प्रदर्शनों में भाग लेने से उनकी राजनीतिक समझ विकसित हुई।
मन्नू भंडारी: एक कहानी यह भी – बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1. मन्नू भंडारी का जन्म कहाँ हुआ था?
a) दिल्ली
b) इंदौर
c) भानपुरा (मध्य प्रदेश)
d) अजमेर
उत्तर: c) भानपुरा (मध्य प्रदेश)
प्रश्न 2. मन्नू भंडारी की आत्मकथा का नाम क्या है?
a) यही सच है
b) एक कहानी यह भी
c) आपका बंटी
d) महाभोज
उत्तर: b) एक कहानी यह भी
प्रश्न 3. मन्नू भंडारी के पिता का मुख्य व्यवसाय क्या था?
a) डॉक्टर
b) शिक्षक एवं लेखक
c) वकील
d) व्यापारी
उत्तर: b) शिक्षक एवं लेखक
प्रश्न 4. मन्नू भंडारी की हीनभावना का मुख्य कारण क्या था?
a) आर्थिक तंगी
b) बहन सुशीला से तुलना
c) शिक्षा की कमी
d) समाज का दबाव
उत्तर: b) बहन सुशीला से तुलना
प्रश्न 5. मन्नू भंडारी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने उन्हें किस विषय में प्रोत्साहित किया?
a) विज्ञान
b) साहित्य एवं राजनीति
c) गणित
d) संगीत
उत्तर: b) साहित्य एवं राजनीति
प्रश्न 6. मन्नू भंडारी के पिता रसोई को क्या कहते थे?
a) पवित्र स्थान
b) भटियारखाना
c) सृजन स्थल
d) आरामगाह
उत्तर: b) भटियारखाना
प्रश्न 7. मन्नू भंडारी के बचपन का मोहल्ला कहाँ स्थित था?
a) ब्रह्मपुरी (इंदौर)
b) ब्रह्मपुरी (अजमेर)
c) ब्रह्मपुरी (दिल्ली)
d) ब्रह्मपुरी (कोलकाता)
उत्तर: b) ब्रह्मपुरी (अजमेर)
प्रश्न 8. मन्नू भंडारी का कौन-सा उपन्यास अजमेर के मोहल्ले के पात्रों से प्रेरित है?
a) आपका बंटी
b) महाभोज
c) स्वामी
d) तीन निगाहों की एक तस्वीर
उत्तर: b) महाभोज
प्रश्न 9. मन्नू भंडारी के पिता ने किस प्रकार के शब्दकोश पर काम किया था?
a) हिंदी-संस्कृत
b) अंग्रेजी-हिंदी (विषयवार)
c) उर्दू-हिंदी
d) फारसी-हिंदी
उत्तर: b) अंग्रेजी-हिंदी (विषयवार)
प्रश्न 10. मन्नू भंडारी ने किस वर्ष दसवीं कक्षा पास की?
a) 1942
b) 1945
c) 1947
d) 1950
उत्तर: b) 1945
प्रश्न 11. मन्नू भंडारी के पिता ने किस आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था?
a) स्वदेशी आंदोलन
b) कांग्रेस एवं समाज-सुधार
c) क्रांतिकारी आंदोलन
d) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
उत्तर: b) कांग्रेस एवं समाज-सुधार
प्रश्न 12. मन्नू भंडारी की माँ का व्यक्तित्व कैसा था?
a) आधुनिक विचारों वाली
b) त्यागमयी एवं सहनशील
c) क्रोधी स्वभाव की
d) राजनीतिक रुचि वाली
उत्तर: b) त्यागमयी एवं सहनशील
प्रश्न 13. मन्नू भंडारी ने किस लेखक की शैली से प्रभावित होकर लेखन शुरू किया?
a) प्रेमचंद
b) जैनेंद्र कुमार
c) अज्ञेय
d) यशपाल
उत्तर: b) जैनेंद्र कुमार
प्रश्न 14. मन्नू भंडारी के पिता ने किसे “विशिष्ट” बनने के लिए प्रोत्साहित किया?
a) अपने सभी बच्चों को
b) मन्नू भंडारी को
c) केवल पुत्रों को
d) किसी को नहीं
उत्तर: b) मन्नू भंडारी को
प्रश्न 15. मन्नू भंडारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
a) दिल्ली पब्लिक स्कूल
b) सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल, अजमेर
c) सेंट जेवियर्स, कोलकाता
d) सेंट मेरी कॉन्वेंट, इंदौर
उत्तर: b) सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल, अजमेर
मन्नू भंडारी: एक कहानी यह भी – रिक्त स्थान पूर्ति
मन्नू भंडारी का जन्म ______ गाँव में हुआ था।
उत्तर: भानपुरामन्नू भंडारी की आत्मकथा का नाम ______ है।
उत्तर: एक कहानी यह भीमन्नू के पिता ______ और ______ भाषा का शब्दकोश बना रहे थे।
उत्तर: अंग्रेजी, हिंदीमन्नू की बहन ______ उनसे दो साल बड़ी और गोरी थी।
उत्तर: सुशीलापिता रसोई को ______ कहते थे।
उत्तर: भटियारखानामन्नू की प्राध्यापिका ______ ने उन्हें साहित्य से परिचित कराया।
उत्तर: शीला अग्रवालमन्नू का बचपन ______ मोहल्ले में बीता।
उत्तर: ब्रह्मपुरी (अजमेर)मन्नू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ______ स्कूल से प्राप्त की।
उत्तर: सावित्री गर्ल्स हाईमन्नू के पिता ______ आंदोलन से जुड़े हुए थे।
उत्तर: कांग्रेसमन्नू की माँ का व्यक्तित्व ______ और ______ था।
उत्तर: त्यागमयी, सहनशीलमन्नू ने ______ उपन्यास में अजमेर के मोहल्ले के पात्रों को चित्रित किया।
उत्तर: महाभोजमन्नू ने दसवीं कक्षा ______ वर्ष में पास की।
उत्तर: 1945पिता चाहते थे कि मन्नू ______ बने न कि सिर्फ गृहिणी।
उत्तर: विशिष्टमन्नू की हीनभावना का कारण ______ से तुलना था।
उत्तर: सुशीलाशीला अग्रवाल ने मन्नू को ______ और ______ की किताबें पढ़ने को दीं।
उत्तर: जैनेंद्र, अज्ञेयमन्नू के पिता ने इंदौर में ______ को निःशुल्क पढ़ाया था।
उत्तर: विद्यार्थियोंमन्नू की माँ ______ थीं और पूरे परिवार की सेवा करती थीं।
उत्तर: अनपढ़मन्नू ने ______ में राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया।
उत्तर: कॉलेजमन्नू के पिता ______ स्वभाव के थे और अक्सर गुस्सा करते थे।
उत्तर: शक्कीमन्नू की रचनाओं में ______ वर्ग के जीवन का वास्तविक चित्रण मिलता है।
उत्तर: मध्यम