पाठ-3 कठपुतली (Ncert Solutions) for Class 7 Hindi
Ultimate NCERT Solutions for पाठ-3 कठपुतली
Updated Solution 2024-2025 Updated Solution 2024-2025
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 | कठपुतली प्रश्न उत्तर, सारांश, व्याख्या
कविता से
“कठपुतली” का सारांश
उत्तर- यह कविता भारतेंदु हरिश्चंत्र द्वारा लिखी गई है, जिसमें एक कठपुतली के माध्यम से मनुष्य की स्वतंत्रता की इच्छा और बंधनों से मुक्त होने की आकांक्षा को दर्शाया गया है। कठपुतली अपने धागों से बंधे होने के कारण दुखी है और वह स्वतंत्र होकर अपनी मर्जी से जीना चाहती है। वह धागों से बंधे होने के कारण खुद को पराधीन महसूस करती है और चाहती है कि वह अपने जीवन के फैसले खुद ले सके।
कठपुतली के मन में यह भावना है कि वह धागों से मुक्त होकर आकाश में उड़ना चाहती है और अपनी इच्छानुसार जीवन जीना चाहती है। वह यह समझती है कि धागों के बंधन में रहकर वह कभी भी खुश नहीं रह सकती। इस कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य की स्वतंत्रता की चाह और बंधनों से मुक्ति की इच्छा को प्रकट किया है।
सारांश यह है कि यह कविता स्वतंत्रता के महत्व और बंधनों से मुक्त होने की इच्छा को दर्शाती है, जो हर प्राणी के लिए आवश्यक है।
पाठ-3 कठपुतली
Updated Solution 2024-2025
प्रश्न उत्तर (Question & Answers)
प्रश्न 1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर 1- कठपुतली के आगे-पीछे धागे ही धागे थे। वह पराधीन रहकर जीवन बिता रही थी। ऐसा जीवन उसे लम्बे समय से जीना पड़ रहा था। अपनी स्वतंत्रता की चेतना जागृत होने पर कठपुतली को गुस्सा आया।
प्रश्न 2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती ?
उत्तर 2- कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है लेकिन वह खड़ी नहीं हो पाती है क्योंकि उस पर बाकी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है। अकेले उसी के स्वतंत्र होने से कोई बात नहीं बनने वाली है। आवश्यकता है सभी कठपुतलियों के स्वतंत्र होने की।
प्रश्न 3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी।
उत्तर 3- पहली कठपुतली की बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगी। क्योंकि अन्य कठपुतलियाँ भी इस बंधनयुक्त जीवन से मुक्त होना चाहती थीं। आखिर स्वतंत्रता सबको अच्छी लगती है, और वे स्वतंत्र होना चाहती हैं।
प्रश्न 4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि- ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? / इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-
- उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
- उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
- वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
- वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर 4- उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
कविता से आगे
प्रश्न 1. ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’- इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? -नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता- सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर (घ)- बहुत दिन हो गए मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
प्रश्न. 2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857…….
(ख) सन् 1942……..
उत्तर 2-
(क) मंगल पाँडे, रानी लक्ष्मीबाई |
(ख) महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभभाई पटेल।
अनुमान और कल्पना
- स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियों ने कैसे लड़ी होगी और स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी ?
उत्तर – स्वतंत्रता की बात धीरे-धीरे सभी कठपुतलियों में घर कर गई होगी उन्होंने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया होगा । उन सबने एक साथ संगठित विद्रोह कर दिया होगा और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए विजय पाई होगी। कुछ ने नृत्य को अपने पेशे के रूप में अपनाया होगा, बाकी ने आने वाली पीढ़ी को शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर, शिक्षित बनाकर स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया होगा । शिक्षित और स्वावलंबी बन चुकी होने के कारण ऐसा करना अब आसान न था। वे अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सक्षम हो चुकी थी, इसलिए अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उन्होंने जी-जान से प्रयास किया होगा ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए-
जैसे- काठ ( कठ) से बना – कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हथ सोना-सोन मिट्टी-पठ
उत्तर 1-
हाथ ( हथ ) से बने शब्द – हथकंडा, हथकड़ी, हथगोला, हथकरघा, हथ छुट ।
सोना (सोन ) से बने शब्द – सोनजुही, सोनहला, सोनकेला ।
मिट्टी (मठ) से बने शब्द – मठाधीश, मठधारी, मठपति।
प्रश्न 2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने ‘के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘….बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए – दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि ।
उत्तर 2-
| शब्द | तालमेल वाले शब्द |
|---|---|
| दुबला-पतला | बोल नहीं सकता यह हकला |
| इधर-उधर | ढूँढ़ो चोर गया किधर |
| ऊपर-नीचे | गुस्से में तलवारें खींचे |
| दाएँ-बाएँ | बच्चे कितना शोर मचाएँ |
| गोरा-काला | सैनिक ने जब फेंका भाला |
| लाल-पीला | सागर का जल दिखता नीला |
पाठ-3 कठपुतली – Updated Solution 2024-2025
यह पूरा समाधान 2024-25 के नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। यदि आपको कोई और प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें! 😊
