Chapter-4 Mithaiwala (Ncert Solutions) for Class 7 Hindi

Ultimate NCERT Solutions for Chapter-4 Mithaiwala

Updated Solution 2024-2025                                                                        Updated Solution 2024-2025

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter-4 Mithaiwala प्रश्न उत्तर, सारांश

Chapter-4 Mithaiwala


प्रश्न अभ्यास

कहानी से

प्रश्न 1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

उत्तर 1: मुरलीवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था, जिससे बच्चों और लोगों को उसकी वस्तुओं में आकर्षण बना रहे। एक ही सामान को बार-बार ख़रीदने की बच्चों में रुचि नहीं रह जाती है।

    वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि यह बच्चों के देता हूँ। लिए नई-नई वस्तुएँ बनवाकर लाता था। नई वस्तुओं के बनने में समय लगता था। वह लाभ कमाने के लिए अपना सामान नहीं लाता था, वह तो बस बच्चों की झलक देखने के लिए के बच्चों को सस्ता सामान दिया करता था।

प्रश्न 2. मिठाईवाले में वे कौन-से गुण थे, जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

उत्तर 2: मुरलीवाले में निम्नलिखित गुण थे-

(i) वह अत्यंत मधुर तथा मादक स्वर में गाकर स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ तथा सुंदर खिलौने बेचा करता था।

(ii) वह अत्यंत विनम्र तथा मृदुभाषी था।

(iii) बच्चों के पास पैसे न होने पर उनकी पसंद की वस्तुएँ दे दिया करता था ।

(iv) वह हर बार नई-नई वस्तुएँ लेकर बच्चों के बीच आता था।

प्रश्न 3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता । दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

उत्तर 3: विजय बाबू – तुम लोगों को झूठ बोलने की आदत होती है। देते होंगे सभी को दो-दो पैसे में, पर एहसान का बोझा मेरे ही ऊपर लाद रहे हो ।

मुरलीवाला– आपको क्या पता बाबूजी इनकी असली लागत क्या है? यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार मुझे लूट रहा है। आप कहीं से दो पैसे में ये मुरलियाँ नहीं पा सकते। मैंने तो पूरी एक हज़ार बनवाई थीं, तब मुझे इस भाव पड़ी हैं ।


Chapter-4 Mithaiwala

Updated Solution 2024-2025


प्रश्न 4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर 4: खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की प्रतिक्रिया होती थी-

(i) वे अपने खेल छोड़कर घरों, गलियों, उद्यानों से बाहर आ जाते थे।

(ii) वे हाँफते-भागते जल्दी से जल्दी खिलौनेवाले के पास पहुँच जाना चाहते            थे।

(iii) अपने माता-पिता से किसी न किसी तरह से पैसे ले ही लिया करते थे।

(iv) उसकी मादक आवाज़ उन्हें बेकाबू बना देती थी।

(v) वे अत्यंत खुश हो जाते थे।

प्रश्न 5. रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो                        आया?

उत्तर 5: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया क्योंकि-

(i) मुरलीवाला पहले की तरह ही गाकर सामान (मुरली) बेच रहा था ।

(ii) मुरलीवाले का स्वर भी खिलौनेवाले की तरह ही मादक और मधुर था ।

(iii) उसे मुरलीवाले की आवाज़ जानी पहचानी सी लगी ।

(iv) लोग मुरलीवाले की मुरली बजाकर बेचने की कला की चर्चा आपस में किया करते थे।

प्रश्न 6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर 6: मिठाईवाला रोहिणी तथा दादी की बातें सुनकर भावुक हो गया था । उसने इन व्यवसायों को अपनाने के निम्नलिखित कारण बताए-

(i) मेरे दोनों बच्चे भी जाएँगे कहाँ! वे सब अंत में यहीं-कहीं होंगे, उन्हीं को खोजने निकला हूँ।

(ii) इन बच्चों को हँसते-खेलते, उछलते-कूदते देखकर लगता है कि इन्हीं में मेरे भी बच्चे होंगे।

(iii) बच्चों के दुख में घुट-घुटकर मरने से अच्छा है, इन बच्चों के साथ सुख – संतोष से मरना ।

(iv) इन बच्चों में मुझे अपने बच्चों की भी एक झलक – सी मिल जाती है।

(v) इस तरह से बच्चों की खुशी मिल जाती है।

प्रश्न 7. ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर 7: ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ मिठाईवाले ने ऐसा इसलिए कहा,                             क्योंकि-

(i) दादी के पूछने पर मिठाईवाला बहुत भावुक हो गया था।

(ii) उसे अपने छोटे-छोटे दोनों बच्चे याद आ रहे थे।

(iii) उसे लगा होगा कि जिस भाव से ये दोनों बच्चे मिठाइयाँ माँ से माँग रहे हैं,          उसी प्रकार मेरे बच्चे भी माँगते थे।

(iv) उसने समझ लिया होगा कि वह ये मिठाइयाँ चुन्नू – मुन्नू को नहीं, बल्कि              अपने बच्चों को दे रहा है।

(v) बिना पैसा लिए मिठाइयाँ देकर उसे अपूर्व खुशी प्राप्त हुई होगी।

प्रश्न 8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर 8: हाँ, आज भी कुछ औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं। कुछ बुजुर्ग औरतें, गाँव की औरतें तथा कुछ जाति विशेष की औरतें अपरिचितों से बात करते समय पर्दा करके बात करती हैं। ऐसा वे शर्म या संकोच के कारण करती हैं। मेरी राय में उनका इस तरह बात करना सही नहीं है।

कहानी से आगे

प्रश्न 1. मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा ? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?

उत्तर 1:                                                        कपड़ेवाला

मेरठ में एक युवा कपड़े का व्यापारी था। शहर में ही चौक के पास उसकी बड़ी-सी कपड़े की दुकान थी। उसकी दुकान में कुल मिलाकर दस अन्य लोग भी काम करते थे। वह अपने व्यवहार से अपने साथ काम करने वाले तथा दुकान पर आनेवाले ग्राहकों को सदैव खुश रखने का प्रयास करता था। उसने हर प्रकार के कपड़े पर अपना मुनाफा निश्चित कर रखा था। मेरठ में वह ज्यादा प्रसिद्ध इसलिए था, क्योंकि चाहे बडा आदमी जाए उसकी दुकान पर या मज़दूर, बूढ़ा जाए या बालक. सबके लिए उसका एक दाम था। उसका व्यापार दिनों-दिन फलता-फूलता जा रहा था।

उसके परिवार में उसकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी थे। दुकान बंद करने का समय तय था, इसलिए बच्चे उसका इंतज़ार करते थे। घर पहुँचते ही उसकी सारी थकान दूर हो जाती। बच्चे उसकी गोद में आकर अपनी तोतली ज़ुबान में पूछते, “आद मेले लिए त्या लाए ओ?” वह हमेशा उनकी पसंदीदा चीज़ें लाता, जिससे वे खुश होकर अपनी माँ को दिखाते और कहते, “देथो, पापा हमाले लिए त्या लाए हैं!” हर सप्ताह वह उन्हें घुमाने ले जाता। व्यापार के सिलसिले में उसे महीने में एक या दो बार सूरत, मुंबई, कलकत्ता जैसे शहरों की यात्रा करनी पड़ती थी, लेकिन परिवार के साथ बिताया समय उसके लिए सबसे अनमोल था।

वहाँ से लौटने के बाद, वह अपने बच्चों को अधिक समय देने लगा। समय अपनी गति से चलता रहा। एक बार उसे अपने काम के सिलसिले में मुंबई जाना पड़ा, लेकिन वहाँ उसकी तबीयत खराब हो गई, जिससे उसे एक सप्ताह से अधिक रुकना पड़ा। इसी दौरान मेरठ में दो संप्रदायों के बीच हिंसक झगड़ा भड़क उठा, जो देखते ही देखते विकराल रूप ले चुका था। शहर दंगे की आग में जल उठा, और चार दिन बाद ही स्थिति शांत हुई। जब व्यापारी वापस लौटा, तो उसने अपनी दुकान और सपनों को दंगे की भेंट चढ़ा पाया। महीनों तक वह गहरे सदमे में रहा। उसे अपने बच्चों और पत्नी की यादें लगातार सताती रहीं।

समय के साथ उसके घाव भरते गए, और उसने घुट-घुटकर जीने के बजाय सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया। उसने व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया और शीघ्र ही अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पा ली। अब उसने अपने धन का एक बड़ा हिस्सा एक अनाथ आश्रम बनाने में लगा दिया। इस कार्य में सरकार ने भी उसे भूमि और अन्य सहायता प्रदान की। उसकी कड़ी मेहनत से आश्रम तैयार हुआ, और धीरे-धीरे उसमें बच्चे आने लगे। पहले एक, फिर दो, और फिर दस बच्चे हो गए। उनकी देखभाल के लिए उसने दो महिलाओं को नियुक्त किया। दुकान बंद करने के बाद वह अनाथ आश्रम जाता और बच्चों के लिए फल व मिठाइयाँ लाना कभी नहीं भूलता।

उसने उसी आश्रम में ही अपना आवास बना लिया। वह बच्चों को महीने में दो बार बाहर अवश्य घुमाने ले जाया करता था। बच्चे ज्यों-ज्यों बड़े होते जाते, वह उन्हें निकट के स्कूल में दाखिल करा देता । एक बार विद्यालय के एक अध्यापक ने व्यापारी से पूछा, आप बच्चों के लिए इतना सब क्यों करते हैं? कहाँ से मिले ये बच्चे आपको?” तो व्यापारी ने कहा, “सर, ये वे अनाथ बच्चे हैं जिनके माता-पिता दंगे में मारे गए थे, और इनको कोई सहारा देने वाला नहीं था। मैं इन बच्चों के साथ ऐसा इसलिए करता हूँ कि दंगे में मैं अपने बच्चों को खो चुका हूँ।

इन बच्चों को हँसते-खेलते, उछलते-कूदते देखकर लगता है कि मेरे अपने बच्चे ही हैं। मुझे इनमें अपने बच्चों की छवि दिखती है । ” व्यापारी की ये बातें सुनकर अध्यापक इतने प्रभावित हुए कि जिस दिन उनका अवकाश होता, वह अपना समय अनाथ आश्रम के बच्चों को पढ़ाते हुए बिताने लगे। इन बच्चों को खुशियाँ देते-देते व्यापारी का अपना दुख कहाँ खो गया, उसे खुद पता नहीं है। आश्रम में बच्चे उसके आने का इंतज़ार करते हैं, तो दुकान पर लोग कपड़ेवाले का। आखिर आज भी वह लोगों का वही चहेता कपड़ेवाला है।

प्रश्न 2. हाट- मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

उत्तर 2: हाट- मेले, शादी आदि आयोजनों में खिलौनों, मिठाइयों तथा कपड़ों की दुकानों पर सजी चीजें सबसे अधिक आकर्षित करती हैं। इनको सजाने-बनाने में अनेक कारीगरों तथा मज़दूरों का हाथ होता है, जो अथक परिश्रम से इन्हें सजाते -संवारते हैं।

लगातार परिश्रम करने के कारण से श्रमिक या कारीगर का बाहरी चेहरा तो उतना सुंदर नहीं रह जाता है परन्तु इनकी बनाई वस्तुएँ हमें ललचाने पर विवश कर देती हैं। इनका चेहरा भले न खूबसूरत हो, पर इनकी वस्तुएँ स्वयं इनकी सुंदरता को प्रकट कर देती हैं।

प्रश्न 3. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है ? इस मिजाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूँढ़िए और पढ़िए।

उत्तर 3: हाँ, इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपने दुःख को कम करता है। ऐसे कई अन्य साहित्यिक रचनाएँ हैं, जिनमें पात्र अपने दुख को भूलकर दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

कहानियाँ:

  1. ईदगाह” (मुंशी प्रेमचंद) – इस कहानी में हामिद अपनी खुशी से अधिक अपनी दादी की जरूरत को महत्व देता है और अपने पैसे से मिठाई के बजाय चिमटा खरीदता है।
  2. पंच परमेश्वर” (मुंशी प्रेमचंद) – यह कहानी सच्चाई, ईमानदारी और कर्तव्य पर आधारित है, जिसमें पात्र अपनी भावनाओं से ऊपर उठकर न्याय करता है।
  3. नन्हा फरिश्ता” (सुधा मूर्ति) – इसमें एक गरीब बच्चा अपने छोटे से उपहार के माध्यम से दूसरों के चेहरे पर खुशी लाने की कोशिश करता है।

कविताएँ:

  1. पुष्प की अभिलाषा” (माखनलाल चतुर्वेदी) – इसमें फूल अपनी खुशबू और सुंदरता से दूसरों की सेवा करने की अभिलाषा व्यक्त करता है।
  2. वह शक्ति हमें दो दयानिधे” (सुभद्रा कुमारी चौहान) – यह कविता सेवा, त्याग और बलिदान की भावना को उजागर करती है।
  3. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” (हरिवंश राय बच्चन) – यह कविता प्रेरित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद इंसान दूसरों की भलाई के लिए कार्य करता रहे।

छात्र पुस्तकालय से ऐसी कहानी, कविताएँ खोजकर स्वयं पढ़ें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।

उत्तर 1: हमारी गली में भी अनेक फेरीवाले आते हैं। उनमें से एक-दो ऐसे हैं जिनके नाम, कहाँ रहते हैं, कितने बच्चे हैं, कब से यह काम कर रहे हैं, गाँव छोड़कर शहर क्यों आए, यही व्यवसाय क्यों अपनाया, गाँव कब-कब जाते हैं और कौन-कौन सी कालोनियों में सामान बेचने जाते हैं आदि जानता हूँ। स्वयं जानकारी प्राप्त करें।

प्रश्न 2. आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरीवाले की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।

उत्तर 2: मेरे माता-पिता के ज़माने में फेरीवाले अपना सामान पीठ पर सिर पर या साइकिल पर रखकर ऊँची-ऊँची आवाज़ लगाकर कुछ सुरीली आवाज़ में अपने सामान के बारे में गाते हुए बेचते थे। आज भी अनेक फेरीवाले ऐसा करते हैं परन्तु अधिकांश फेरीवाले अब अपने सामान को सिर पर रखकर नहीं बेचते हैं। वे साइकिल, रिक्शा, ठेला, मारुति कारों में रखकर लाउडस्पीकर की मदद से बेचते हैं।

प्रश्न 3. आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।

उत्तर 3: हाँ, वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

(i) रहन-सहन के बढ़ते स्तर के कारण लोग इन फेरीवालों से सामान ख़रीदना, अपनी इज़्ज़त घट जाना मानते हैं।

(ii) जगह-जगह मॉल, शॉपिंग सेंटर खुलते जा रहे हैं, जिनमें एक ही छत के नीचे अनेक वस्तुएँ मिल जाती हैं। (iii) फेरीवाले के सामान की गुणवत्ता को लोग अच्छा नहीं मानते हैं।

(iv) सामान की शिकायत करने के लिए फेरीवाले के आने तक इंतज़ार करना पड़ता है।

(v) सामान खरीदने के बहाने ही लोग घरों से बाहर जाकर घूम-फिर आते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1. मिठाईवाला, बोलनेवाली गुड़िया

  • ऊपरवाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-

(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?

(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?

उत्तर 1: (क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द मिठाई संज्ञा तथा ‘बोलनेवाली’ विशेषण है।

       (ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका प्रयोग संज्ञा सूचक शब्द (कर्ता) बनाने के लिए किया गया है।

प्रश्न 2. अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य मेंठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं मे इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे- भोजपुरी में – एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन के बटुली ।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किसकिस की भाषा बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर 2: बिहार के मिथिला क्षेत्र में जहाँ मैथिली बोली जाती है, वहाँ पर ‘ठो’, ‘ ठे ‘ के स्थान पर ‘टा’ का प्रयोग करते हैं। जैसे-

एक ठो कलम – एक टा कलम

पाँच ठो कापी – पाँच टा कापी

अन्य भाषा बोलियों से जुड़े छात्र समूह में स्वयं इसकी चर्चा करें।

प्रश्न 3. “वे भी जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”

क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”

“दादी, चुन्नू मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है? जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”

  • भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़नेसुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे?”

उत्तर 3: ऐसा लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं।

       क्यों भई. यह मुरली कितने में बेच रहे हो?

  • दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। उसे रोककर कमरे में बिठाओ।

कुछ करने को

प्रश्न 1. फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे ? यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से बात करें।

उत्तर 1: फेरीवालों की दिनचर्या कठिन और संघर्षपूर्ण होती है। वे सुबह जल्दी उठते हैं, अपना सामान तैयार करते हैं और उसे ठेले, साइकिल, या कंधे पर लेकर बेचने निकलते हैं। पूरे दिन धूप, बारिश, या ठंड के बावजूद वे अलग-अलग गलियों, बाजारों और कॉलोनियों में घूमकर अपना सामान बेचते हैं। उनके घर आमतौर पर किराए के छोटे मकानों या झुग्गी बस्तियों में होते हैं।

उनकी जिंदगी में कई समस्याएँ होती हैं, जैसे—

  1. आर्थिक अनिश्चितता – हर दिन समान आमदनी नहीं होती, जिससे परिवार चलाना कठिन हो जाता है।
  2. मौसम की मार – धूप, बारिश या ठंड में काम करना पड़ता है।
  3. पुलिस और प्रशासन – कई बार उन्हें बिना कारण हटाया या परेशान किया जाता है।
  4. खरीदारों का व्यवहार – कभी-कभी ग्राहक मोलभाव कर ज्यादा कीमत कम करवाने की कोशिश करते हैं, जिससे उनका मुनाफा कम हो जाता है।
  5. परिवार से दूरी – देर रात तक काम करने के कारण वे अपने परिवार को बहुत कम समय दे पाते हैं।

फेरीवालों से पूछने के लिए कुछ प्रश्न:

  1. आपका रोज़ाना का काम कितने बजे शुरू होता है और कब खत्म होता है?
  2. आप किन-किन जगहों पर अपना सामान बेचने जाते हैं?
  3. हर दिन औसतन कितनी बिक्री हो जाती है?
  4. काम करते समय आपको किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है?
  5. आपका परिवार कहाँ रहता है? क्या वे भी इसी व्यवसाय से जुड़े हैं?
  6. क्या आप कभी सरकारी सहायता या किसी संगठन की मदद लेते हैं?
  7. क्या आप अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए समय और पैसा जुटा पाते हैं?
  8. आपकी सबसे बड़ी चिंता क्या होती है?
  9. क्या आपको किसी त्योहार या खास अवसरों पर ज्यादा बिक्री होती है?
  10. अगर आपके पास कोई और अवसर मिले, तो क्या आप यह काम छोड़ना चाहेंगे?

हर समूह को अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों (जैसे सब्जी विक्रेता, खिलौने बेचने वाले, किताब बेचने वाले, कपड़े बेचने वाले) से बातचीत करनी चाहिए। इससे हमें उनकी जिंदगी और संघर्षों को समझने में मदद मिलेगी। इसी प्रकार उपर दिए गए प्रश्नों की तरह ही कुछ और प्रश्न बनाकर छात्र समूह बनाकर फेरीवालों से स्वयं बात करें।

प्रश्न 2. इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुःख कम हो जाता है ? समूह में बातचीत कीजिए।

उत्तर 2: हाँ, इस कहानी को पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुःख कम किया जा सकता है। मिठाईवाला अपने जीवन के कठिन समय से गुज़रने के बाद भी अपने दुख में डूबे रहने के बजाय, अनाथ बच्चों की देखभाल और सेवा में अपने जीवन का नया उद्देश्य खोजता है। वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अनाथ आश्रम बनाने में लगाता है और बच्चों के साथ समय बिताकर सच्ची खुशी महसूस करता है।

समूह चर्चा के लिए कुछ बिंदु:

  1. क्या हमें अपने दुःख से उबरने के लिए दूसरों की मदद करनी चाहिए?
  2. क्या आपने कभी किसी की मदद करके खुद को हल्का महसूस किया है?
  3. क्या यह सच है कि खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं और दुःख बाँटने से घटते हैं?
  4. क्या इस कहानी के मिठाईवाले जैसे उदाहरण हमें वास्तविक जीवन में भी मिलते हैं?
  5. हम अपने आसपास जरूरतमंद लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?

समूह चर्चा में हर कोई अपने अनुभव साझा कर सकता है और इस विचार पर अपने दृष्टिकोण रख सकता है कि परोपकार और प्रेम से दुःख कम किया जा सकता है।

प्रश्न 3. अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए ।

उत्तर 3: मिठाईवाले का शब्द चित्र

मिठाईवाला एक मध्यम आयु का व्यक्ति था, जिसकी आँखों में जीवन के संघर्षों की गहराई झलकती थी, लेकिन मुस्कान हमेशा चेहरे पर बनी रहती थी। उसके घुँघराले सफेद बाल और हल्की झुर्रियों वाला चेहरा उसके अनुभवों की कहानी कहता था। वह एक साधारण, सफेद कुर्ता-पायजामा पहनता था, जिस पर हल्की-हल्की मिठाई की चीनी जमी रहती थी। उसके कंधे पर एक पुराना झोला लटकता था, जिसमें वह बच्चों के लिए ताजे फल और मिठाइयाँ लेकर जाता था।

जब भी वह अनाथालय पहुँचता, बच्चे खुशी से दौड़कर उससे लिपट जाते। उसकी आँखों में प्रेम और अपनापन छलक पड़ता। वह बड़े प्यार से बच्चों के सिर पर हाथ फेरता और उनके साथ हँसता-बोलता। उसकी आवाज़ में मिठास थी, ठीक वैसे ही जैसे उसकी बनाई मिठाइयों में। उसका व्यक्तित्व प्रेम, त्याग और सेवा की जीवंत तस्वीर था, जो दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूँढ़ चुका था।

मिठाईवाला – सारांश (कक्षा 7 हिंदी वसंत – 2, अध्याय 4)

“मिठाईवाला” कहानी एक ऐसे व्यक्ति की प्रेरणादायक कहानी है, जिसने जीवन के संघर्षों के बावजूद दूसरों की सेवा में सच्ची खुशी पाई। यह कहानी बताती है कि कैसे दुःख और कठिनाइयों से गुज़रने के बाद भी कोई व्यक्ति अपने जीवन को एक नए उद्देश्य के साथ जी सकता है।

कहानी का मुख्य पात्र मिठाईवाला, अपने व्यापार और प्रतिष्ठा को खोने के बाद भी हार नहीं मानता। समय के साथ वह अपनी गलतियों से सीखता है और फिर से व्यापार में सफल होता है। लेकिन इस बार, वह केवल धन अर्जित करने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि अपने धन का एक बड़ा हिस्सा एक अनाथ आश्रम बनाने में लगाता है।

सरकार की मदद से वह अनाथालय बनवाता है, जहाँ धीरे-धीरे कई अनाथ बच्चे रहने लगते हैं। वह बच्चों की देखभाल के लिए दो महिलाओं को नियुक्त करता है और हर शाम अपनी दुकान बंद करके आश्रम जाता है। वह बच्चों के लिए फल और मिठाइयाँ लेकर जाता है, जिससे बच्चे उससे गहरा लगाव महसूस करते हैं।

कहानी यह संदेश देती है कि सच्ची खुशी दूसरों को प्यार और खुशी देने में है। मिठाईवाला अपने दुःख को भूलकर अनाथ बच्चों के जीवन में खुशियाँ लाता है, जिससे उसे भी संतोष और आत्मिक शांति मिलती है।

 

Chapter-4 Mithaiwala-Updated Solution 2024-2025

यह पूरा समाधान 2024-25 के नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। यदि आपको कोई और प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें! 😊

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