Bal Mahabharat class 7 Question Answer (Ncert Solutions)

बाल महाभारत-कथा
Bal Mahabharat class 7 Question Answer (Ncert Solutions) – बाल महाभारत-कथा
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प्रश्न 1. गंगा ने शांतनु से कहा, “राजन् ! क्या आप अपना वचन भूल गए?” तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा ?
उत्तर 1: मेरे विचार से शांतनु ने गंगा को यह वचन दिया होगा कि तुम अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र रहोगी । तुम्हारे द्वारा किए गए किसी भी अच्छे या बुरे काम में, मैं हस्तक्षेप नहीं करूँगा । यदि मैं हस्तक्षेप करता हूँ तो तुम अपने पिता के घर आने के लिए स्वतंत्र रहोगी ।
प्रश्न 2. महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था – युधिष्ठिर या दुर्योधन को ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर 2: मेरे विचार से युधिष्ठिर को ही राजा बनाया जाना चाहिए था। क्योंकि जन्मांध धृतराष्ट्र को राजा नहीं बनाया जा सकता था। इसलिए उनके स्थान पर पांडु राजा बनाए गए। पांडु की मृत्यु असमय हो गई तब पांडव उम्र में छोटे थे, इसलिए धृतराष्ट्र ने राज सँभाला। युधिष्ठिर के बड़े हो जाने पर धृतराष्ट्र का कर्त्तव्य बनता है कि युधिष्ठिर को राजा बना दें।
प्रश्न 3. महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक कार्य किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में उपयुक्त लगे हों उनके कुछ उदाहरण दो।
उत्तर 3: कौरवों और पांडवों द्वारा किए गए अनेक प्रयासों में मुझे निम्नलिखित उपयुक्त लगे-
- दोनों ही दलों द्वारा अपनी सेना को टुकड़ों में बाँट कर उनका नायक नियुक्त किया जाना।
- सेना का एक सेनापति बनाया, जिसके आदेश का सभी के द्वारा पालन किया जाना।
- निहत्थों पर वार न किया जाना।
- अपनी प्रतिज्ञा तथा वचनों का मरते समय तक पालन करना।
- सूर्यास्त के बाद युद्ध बंद कर देना ।
- अपने ही समान बलशाली योद्धा से युद्ध करना।
प्रश्न 4. तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को कौन रुकवा सकता था? कैसे ?
उत्तर 4: मेरे विचार से महाभारत का युद्ध कर्ण रुकवा सकता था। कर्ण ही दुर्योधन का दाहिना हाथ था। उसी के बल पर दुर्योधन दम भरता था। दुर्योधन, कर्ण का कहा मानता था । यदि कर्ण दुर्योधन को समझाता तो वह जरूर कर्ण की बात मान जाता ।
प्रश्न 5. इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर-5
मुहावरे मुहावरों का वाक्य प्रयोग
ठोकरें खाना : नौकरी छूट जाने के कारण गौरव दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
हृदय पिघलना : सर्दी से ठिठुरते भिखारी को देख मोहन का दिल पिघल गया और उसने उसे कंबल दे दिया।
काम तमाम होना: गाँव वालों की पिटाई से चोर का काम तमाम हो गया।
दंग रह जाना: जादूगर का खेल देखकर दर्शक दंग रह गए।
ताड़ जाना: तुम्हारा रंग-ढंग देखकर ही मैंने ताड़ लिया था कि मेरे पास रुपए माँगने आ रहे हो।
प्रश्न 6. महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे नाम किसके हैं?
पृथा, गांगेय, राधेय, देवव्रत, वासुदेव, कंक ।
उत्तर – 6
पृथा – कुंती
राधेय – कर्ण
गांगेय – भीष्म
सैरंध्री – द्रौपदी
वासुदेव – श्रीकृष्ण
कंक – युधिष्ठिर
प्रश्न 7. इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने माता-पिता या अन्य बड़े लोगों से मदद ले सकते हो।
उत्तर 7: छात्र अपने माता-पिता तथा बड़े लोगों की मदद से स्वयं करें।
प्रश्न 8. तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों?
उत्तर 8: मेरे विचार से सबसे ज्यादा अन्याय अंबा के साथ हुआ, क्योंकि वह सौभदेश के राजा शाल्व से प्रेम करती थी और उसे अपना पति मान चुकी थी। भीष्म उसे तथा उसकी बहनों को स्वयंवर से उठा लाए थे। अंबा के मन की बात जानकर भीष्म ने उसे शाल्व के पास भेज दिया, पर शाल्व ने उससे विवाह करने से मना कर दिया। अंत में उसने वन में तपस्या आरंभ की और अपना स्त्री रूप बदल कर पुरुष – रूप अपना लिया। इस प्रकार वह (अंबा) अपने जीवन में तनिक भी सुख न पा सकी ।
प्रश्न 9. महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई ? (याद रखो इस युद्ध में दोनों पक्षों के लाखों वीर मारे गए थे।)
उत्तर 9: यूँ तो युद्ध के अंत में पांडवों की जीत हुई; लेकिन युद्ध में मरे लाखों वीरों तथा कुरुवंश का सर्वनाश देखकर यही लगता है कि ऐसी जीत से क्या फायदा। इस जीत से स्वयं युधिष्ठिर भी दुखी थे। वे प्रायश्चित करने वन जाना चाहते थे। यह ऐसी जीत थी, जिससे खुशी कम दुख ज्यादा मिले।
प्रश्न 10. तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीर कौन था / थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर 10: महाभारत की कथा में अनेक वीर ऐसे थे जो अत्यंत पराक्रमी, बलवान तथा कुशल योद्धा थे। वे अपने युद्ध कौशल से युद्ध का परिणाम बदलने की क्षमता रखते थे। इनमें द्रोणाचार्य, भीष्म, अर्जुन, कर्ण, भीम, विराट आदि प्रमुख थे।
मेरे विचार से इन सभी में महारथी और ब्रह्मचारी भीष्म सबसे अधिक वीर थे । यदि युद्ध में शिखंडी को आगे कर अर्जुन बाण न मारते तो उन्हें पराजित कर पाना असंभव था । घायल भीष्म शर- शैय्या पर भी छः माह तक जीवित रहे थे।
Chapter-Wise NCERT Solutions for Class 7 Hindi: Bal Mahabharat Class 7 Question Answer
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प्रश्न 11. यदि तुम युधिष्ठिर की जगह होते तो यक्ष के प्रश्नों का क्या उत्तर देते?
उत्तर 11: यदि मैं युधिष्ठिर की जगह होता तो यक्ष के प्रश्नों का उत्तर निम्लिखित तारिके से देता:-
प्रश्न- मनुष्य का साथ कौन देता है?
उत्तर – साहस मनुष्य का साथ देता है।
प्रश्न- कौन सा शास्त्र (विद्या) है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है।
उत्तर- धर्म और ज्ञान की पुस्तकें पढ़कर मनुष्य बुद्धिमान बन सकता है।
प्रश्न- भूमि से भारी कौन-सी चीज़ है?
उत्तर- माँ।
प्रश्न- आकाश से भी ऊँचा कौन है?
उत्तर-पिता।
प्रश्न- हवा से तेज़ चलने वाला कौन है
उत्तर- फोन पर की गई बातें या मन की कल्पनाएँ।
प्रश्न- घास से भी तुच्छ चीज़ क्या है?
उत्तर- दूसरों का धन ।
प्रश्न- विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है?
उत्तर- ज्ञान या गुण।
प्रश्न- घर ही में रहने वाले का साथी कौन होता है?
उत्तर- पत्नी ।
प्रश्न – मरणासन्न व्यक्ति का मित्र कौन होता है?
उत्तर- डाक्टर, जो उसकी जान बचा सके।
प्रश्न – बरतनों में सबसे बड़ा कौन-सा है ?
उत्तर- समुद्र।
प्रश्न – सुख क्या है ?
उत्तर – दूसरों के दुख कम करने के लिए किया गया त्याग।
प्रश्न – किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बन जाता है?
उत्तर – लालच और घमंड ।
प्रश्न- किस चीज के खो जाने पर दुख नहीं होता ?
उत्तर – लालच और क्रोध ।
प्रश्न- किस चीज को गँवाकर मनुष्य धनी बनता है ?
उत्तर- लोभ को ।
प्रश्न – बताओ कि किसी का ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर करता है? उसके जन्म पर, विद्या पर, शील-स्वभाव पर ।
उत्तर- शील-स्वभाव पर।
प्रश्न – संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
उत्तर – मृत्यु के समय खाली हाथ जाने को जानकर भी किसी भी तरह से अधिकाधिक धन कमाना ।
प्रश्न 12. महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या विचार आते हैं-
(क) शांतनु ने केवटराज से कहा, “जो मांगोगे दूँगा, यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो। “
उत्तर (क) – इन बातों को पढ़कर मेरे मन में यह विचार आता है कि उस समय राजाओं को जो भी पसंद आ जाता था, वे उसे पाने के लिए कोई भी तरीका अपना सकते थे। वे अपने धन का प्रभाव डालने से भी नहीं चूकते थे, लेकिन अपनी राजोचित छवि या मर्यादा का भी ध्यान रखते थे।
(ख) दुर्योधन ने कहा, “अगर बराबरी की बात है, तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता हूँ।”
उत्तर (ख) – यहाँ भी दुर्योधन अर्जुन से मुकाबला करने पर स्वय को अक्षम पाने पर वह कर्ण को अंगदेश का राजा बना देता है, जिससे कर्ण, अर्जुन का मुकाबला कर सके। इस तरह दुर्योधन का मनोरथ पूरा हो सके।
(ग) धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा, “बेटा, मैं तुम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पांडवों से वैर न करो। वैर दुख और मृत्यु का कारण होता है । “
उत्तर (ग) – वृद्ध तथा विवश धृतराष्ट्र पिता होने के कारण दुर्योधन (पुत्र) की भलाई के बारे में चिंतित हो रहे हैं। वे अपने पुत्रों तथा कुल का विनाश नहीं देखना चाहते हैं। वे दुर्योधन से पांडवों के प्रति वैर भाव का त्याग कर युद्ध न करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
(घ) द्रौपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा, “रथवान! जाकर उस हारने वाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे या मुझे।”
उत्तर (घ) – इससे द्रौपदी की उस मनः स्थिति का पता चल रहा है, जिसमें वह सोच रही है कि क्या आदमी, आदमी को जुए के दाँव पर लगाकर हार सकता है? क्या वह स्वयं को भी हार चुका है? क्या वह जुए के खेल के वशीभूत होकर इस तरह का अविवेकपूर्ण निर्णय ले सकता है।
प्रश्न 13. युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा, “अश्वत्थामा मारा गया, मनुष्य नहीं, हाथी ।” युधिष्ठिर सच बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। तुम्हारे विचार से उन्होंने द्रोण से सच कहा था या झूठ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर 13: युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा, अश्वत्थामा मारा गया, मनुष्य नहीं हाथी । ” बिल्कुल सत्य कहा था। उसका कारण यह है कि उन्होंने अश्वत्थामा नामक हाथी को मारने के बाद ऐसा कहा था। यह अलग बात है कि उसका प्रभाव द्रोणाचार्य पर कुछ अलग ही पड़ा क्योंकि उन्होंने पूरा कथन नहीं सुना था।
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प्रश्न 14. महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों को बहुत हानि पहुंची। इस युद्ध को ध्यान में रखते हुए युद्धों के कारणों और परिणामों के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो। शुरुआत हम कर देते हैं–
(1) युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं।
(2)…………………………………………
(3)…………………………………………
(4)…………………………………………..
( 5 )…………………………………………
(6)…………………………………………..
उत्तर 14:
(1) युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं।
(2) युद्ध से किसी का फायदा नहीं होता ।
(3) युद्ध में अपार जन-धन की हानि होती है।
(4) युद्ध में अनेक महिलाएँ विधवा तथा बच्चे अनाथ हो जाते हैं।
(5) भयंकर महामारी फैलने का खतरा उत्पन्न हो जाता है ।
(6) मानवीय संबंधों का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है। अर्थात् भाई-भाई की, पिता-पुत्र की एवं पुत्र – पिता की हत्या करने से नहीं चूकते हैं। गुरु का शिष्य से, अपनों का अपनों से अपनत्व समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 15: मान लो तुम भीष्म पितामह हो । अब महाभारत की कहानी अपने शब्दों में लिखो । जो घटनाएँ तुम्हें जरूरी न लगें, उन्हें तुम छोड़ सकते हो।
उत्तर 15: “महाभारत की कथा अपने शब्दों में”
महाराजा शांतनु की मृत्यु के उपरान्त विचित्रवीर्य फिर पांडु हस्तिनापुर के सिंहासन पर बैठे। अपनी एक भूल का प्रायश्चित करने पांडु जंगल में गए जहाँ उनकी पत्नी कुती और माद्री से युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव का जन्म हुआ। पाँचों पुत्र पांडव अत्यंत प्रखर बुद्धिवाले, वीर तथा साहसी थे। उनके ताऊ धृतराष्ट्र के सौ पुत्र थे जिन्हें कौरव कहा जाता था। कौरव हमेशा पांडवों से जलते तथा ईर्ष्या रखते थे। कौरवों ने छल से जुए के खेल में पांडवों का राज्य छीन लिया।
पांडवों को तेरह वर्ष का वनवास बिताना पड़ा। वनवास से लौटकर पांडवों ने कौरवों को युद्ध में हराया जिसमें सारे कौरव मारे गए।छत्तीस वर्षों तक राज्य करने के बाद पोते परीक्षित को राज्य सौंपकर पांडव द्रौपदी सहित हिमालय की ओर तपस्या करने चले गए।
प्रश्न 16. (क) द्रौपदी के पास एक ‘अक्षयपात्र’ था जिसका भोजन समाप्त नहीं होता था। अगर तुम्हारे पास ऐसा ही एक पात्र हो तो तुम क्या करोगे?
उत्तर 16: (क) – अगर ऐसा ‘अक्षयपात्र’ मेरे पास होता तो मैं अन्य लोगों को खिलाने में बच्चों और अशक्त वृद्धों को प्राथमिकता देता । हाँ गरीब, श्रमिक, मरीजों, मजदूरों को भी खिलाता, पर यह प्रमाणित हो जाए कि वे मेहनत का काम करके आ रहे हैं। अन्यथा मुफ्त की खाने की आदत उन्हें आलसी और निकम्मा बना देगी और समाज पतनोन्मुख होता चला जाएगा।
(ख) यदि ऐसा कोई पात्र तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे मित्र के पास हो तो तुम क्या करोगे?
उत्तर (ख) – ऐसा पात्र मेरे मित्र के पास होने पर मैं उससे कहता कि वह ऐसे लोगों को उससे भोजन कराए जो किन्हीं कारणों से अपने लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं। इसके लिए वह ऐसे लोगों से कोई पैसा न वसूले।
प्रश्न 17. नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची है, उनका अर्थ क्या हो सकता है?
(क) गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो गया।
(ख) द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा – ” जब तुम राजा बन गए तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए । ”
(ग) दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा- “पिता जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं। “
(घ) स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ था।
(ङ) चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं ।
उत्तर 17:
(क) विरक्त – मोह-माया, भोग- विलास आदि से दूर।
(ख) मद – गर्व, घमंड, अभिमान ।
(ग) पुरवासी – राज्य में रहने वाले।
(घ) वृहदाकार – वृहद् + आकार (बड़े आकार वाला)
(ङ) ईजाद – आविष्कार, खोज।
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प्रश्न 18 लाख के भवन से बचने के लिए विदुर ने युधिष्ठिर को सांकेतिक भाषा में सीख दी थी। आजकल गुप्त भाषा का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ होता होगा? तुम भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गुप्त भाषा बना सकते हो। इस भाषा को केवल वही समझ सकेगा, जिसे तुम यह भाषा सिखाओगे। ऐसी ही एक भाषा बनाकर अपने दोस्त को एक संदेश लिखो।
उत्तर 18: गुप्त भाषा का इस्तेमाल आजकल गुप्तचर सेवाओं, दुश्मनों के बारे में रक्षा सेनानियों को सूचनाएँ देने जासूसी करने या करवाने, व्यापारी आपस में सामान का दाम तय करने, दलाल अपना कमीशन तय करने, बच्चे कोई खेल खेलते समय कभी-कभी, कक्षा से निकलने की सूचना अन्य छात्र को देते समय, माँ-बाप को बिना बताए खेलने जाने के लिए दोस्तों के बीच में, चोर चोरी करने के समय भी कभी-कभी करते हैं।
ऐसी ही एक भाषा बनाकर दोस्त को संदेश लिखना-
संकेत-

DEAR ATUL, COME TO GAZIYABAD. WE SHALL GO TO SEE THE TAJ MAHAL ON SUNDAY, YOUR LOVING BROTHER SHALESH MAURYA

प्रश्न 19. महाभारत कथा में तुम्हें जो कोई प्रसंग बहुत अच्छा लगा हो, उसके बारे में लिखो। यह भी बताओ कि वह प्रसंग तुम्हें अच्छा क्यों लगा?
उत्तर 19: महाभारत कथा में अनेक प्रसंग ऐसे हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं परंतु मुझे केवटराज और देवव्रत का प्रसंग बहुत हो अच्छा लगता है।
इसका कारण यह है कि केवटराज के अप्रत्याशित प्रश्न को पूरा करने का अर्थ था कि देवव्रत अपने भविष्य का बलिदान कर दें, किंतु देवव्रत ने जीवनभर विवाह न कर आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण किया। पितृभक्ति का ऐसा सुंदर उदाहरण आज के समय में दुर्लभ है।
प्रश्न 20. तुमने पुस्तक में पढ़ा कि महाभारत कथा कंठस्थ करके सुनाई जाती रही है। कंठस्थ कराने की क्रिया उस समय इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों रही होगी? तुम्हारी समझ से आज के ज़माने में कंठस्थ करने की आदत कितनी उचित है?
उत्तर 20: कंठस्थ करने की क्रिया उस समय इतनी महत्त्वपूर्ण रही होगी क्योंकि –
- कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था।
- लेखन सामग्री आज की तरह सुलभ नहीं थी ।
- छपी पुस्तकें उपलब्ध नहीं होती थीं।
- ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए उसे कंठस्थ करना अति आवश्यक था।
- शिक्षण की मौखिक पद्धति का प्रयोग किया जाता था।
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बाल महाभारत कथा का सारांश
बाल महाभारत कथा कक्षा 7 की हिंदी पुस्तक में महाभारत के महत्वपूर्ण प्रसंगों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ न केवल एक महाकाव्य है, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, नीति, और राजनीति का दर्पण भी है। इस पुस्तक में महाभारत की मूल कहानी को छोटे-छोटे अध्यायों में विभाजित कर, विद्यार्थियों को समझाने का प्रयास किया गया है। महाभारत की कथा कौरवों और पांडवों के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है, जिसे कुरुक्षेत्र के युद्ध के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक है। कथा की शुरुआत हस्तिनापुर के राजा शांतनु से होती है,
जिनके पुत्र भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और हस्तिनापुर के सिंहासन की रक्षा का संकल्प किया। भीष्म की प्रतिज्ञा के कारण हस्तिनापुर का राजकाज धीरे-धीरे कौरवों और पांडवों के बीच विवाद का कारण बन गया। धृतराष्ट्र, जो नेत्रहीन थे, को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया, लेकिन उनके पुत्र दुर्योधन में सत्ता की लालसा थी। उसने पांडवों के साथ छल-कपट किया और उन्हें वनवास के लिए मजबूर कर दिया। वनवास के दौरान पांडवों ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन धैर्य और धर्म के मार्ग पर चलते रहे। महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग “द्यूत क्रीड़ा” है, जिसमें शकुनि की चालाकी से युधिष्ठिर अपना राजपाट, धन-संपत्ति और यहां तक कि द्रौपदी को भी हार जाते हैं।
द्रौपदी का चीरहरण महाभारत की कथा का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने पांडवों को अपने अपमान का बदला लेने के लिए प्रेरित किया। कुरुक्षेत्र का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष था, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। गीता के उपदेश में कर्म, भक्ति, और ज्ञान का सार निहित है, जो आज भी मानवता को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। अंततः, पांडवों की विजय होती है, लेकिन यह विजय केवल भौतिक नहीं थी, बल्कि धर्म की स्थापना और सत्य की जीत का प्रतीक थी। महाभारत की कथा हमें यह सिखाती है कि अधर्म और अन्याय का अंत निश्चित है और सत्य की हमेशा जीत होती है।
बाल महाभारत कथा न केवल बच्चों को महाभारत के प्रसंगों से अवगत कराती है, बल्कि नैतिक मूल्यों, कर्तव्य और धर्म का ज्ञान भी देती है। यह पुस्तक विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और इतिहास को समझने में मदद करती है और उन्हें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।