"Himalaya Ki Betiyan Question Answer - Class 7 Hindi Vasant-2

पाठ 1. हिमालय की बेटियां
Himalaya Ki Betiyan Question Answer के अंतर्गत इस अध्याय में लेखक नागार्जुन ने नदियों को केवल जलधारा के रूप में नहीं, बल्कि बेटियों के रूप में दर्शाया है। उन्होंने सिंधु, ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों की विशेषताओं को विस्तार से समझाया है। हिमालय की यात्रा में लेखक ने वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, नदियों की अल्हड़ता और पर्वतों के दृढ़ स्वभाव की प्रशंसा की है।
इस पाठ में “himalaya ki betiyan question answer” के माध्यम से छात्रों को नदियों और हिमालय के सांस्कृतिक व भौगोलिक महत्व को समझने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, पाठ्यक्रम से जुड़े प्रश्नों के उत्तर भी विद्यार्थियों के लिए सरल और सहज तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे वे इस विषय को बेहतर तरीके से समझ सकें।
लेख से
“हिमालय की बेटियाँ” (himalaya ki betiyan) कविता से संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें।
प्रश्न 1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर- “हिमालय की बेटियाँ” (himalaya ki betiyan) कविता में नदियों को माँ, बेटी, और बहन के रूप में दर्शाया गया है। नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है, लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटी, बहन, प्रेयसी, संभ्रात महिला और माँ के रूपों में देखते हैं।
प्रश्न 2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर- “हिमालय की बेटियाँ” (himalaya ki betiyan) कविता में सिंधु और ब्रह्मपुत्र को हिमालय की पिघली बर्फ से बनी नदियों के रूप में वर्णित किया गया है। इनमें कुछ और छोटी-छोटी नदियाँ भी मिलती हैं। समुद्र की ओर अग्रसर होते ये महानदी अंत में समुद्र में मिल जाती हैं।
प्रश्न 3. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर- काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है क्योंकि नदियाँ अपने अमृतरूपी जल से मनुष्य, पशु-पक्षी तथा अन्य जीवों की प्यास बुझाती हैं। नदियाँ परोक्ष रूप में हमारे पोषण का साधन हैं। इन नदियों में स्नान करने से मनुष्य की गर्मी तथा थकान उतर जाती है। भारतीय संस्कृति में नदियाँ कल्याणकारी मानी गई हैं।
प्रश्न 4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर- हिमालय की यात्रा में लेखक में हिमालय से निकलने वाली अल्हड़ बालिका जैसी नदियों, वहाँ पर पाए जाने वाले देवदार, चीर, सरो, चिनार, सफेदा, केल के जंगलों तथा अद्भुत हिमालय की प्रशंसा की हैं।
लेख से आगे
“हिमालय की बेटियाँ” (himalaya ki betiyan) कविता से आगे
प्रश्न 1. नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर- नदियों और हिमालय से संबंधित कुछ कविताएँ-
- वही उठती अर्मियों-सी शैलमालाएँ
वही अंतश्चेतना-सा गहन वन विस्तार
वही उर्वर कल्पना-से फूटते जलस्रोत
वही दृढ़ मांसल भुजाओं से कसे पाषाण
वही चंचल वासना-सी बिछलती नदियाँ
पारदर्शी वही शीशे की तरह आकाश
और किरनों से झलाझल
वही मुझको बेधते हिमकोण – जगदीश गुप्त
खड़ा हिमालय बता रहा
डरो न आँधी-पानी में
खड़े रहो तुम अविचल होकर
सब संकट तूफानी में
डिगो न अपने प्रण से तो तुम
सबकुछ पा सकते हो प्यारे
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो.
छू सकते हो नभ के तारे।
अचल रहा जो अपने पथ पर
लाख मुसीबत आने में
मिली सफलता जग में उसको
जीने में मर जाने में।
नदियों और हिमालय से संबंधित अन्य कविताओं का चयन एवं पाठ में निहित नदियों के वर्णन से उनकी तुलना छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. गोपाल सिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में ‘ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर- ‘हिमालय’ पर आधारित तीन महान कवियों की तुलना
हिंदी साहित्य में हिमालय को लेकर कई प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाएँ लिखी हैं। गोपाल सिंह नेपाली, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ और जयशंकर प्रसाद ने अपने-अपने दृष्टिकोण से हिमालय की महिमा का वर्णन किया है।
गोपाल सिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’:
नेपाली जी ने हिमालय को भारतीय संस्कृति और वीरता का प्रतीक माना है। उनकी कविता में हिमालय को प्रेरणा का स्रोत बताया गया है, जो हमें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है। उन्होंने हिमालय की ऊँचाई और दृढ़ता को भारतीय आत्मा के रूप में प्रस्तुत किया है।रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’:
दिनकर जी ने हिमालय को शक्ति, साहस और भारतीय गौरव का प्रतीक माना है। उनकी कविता में हिमालय की अटलता और संघर्षशीलता को दर्शाया गया है। उन्होंने हिमालय को राष्ट्र की आत्मा और स्वतंत्रता का प्रतीक बताया है, जो कभी झुकता नहीं।जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’:
प्रसाद जी ने हिमालय को प्रकृति का सौंदर्य और शांति का प्रतीक माना है। उनकी कविता में हिमालय के शांत वातावरण और आध्यात्मिकता का वर्णन है। उन्होंने हिमालय को ध्यान, योग और आत्मचिंतन का स्थल बताया है।
तुलना
- नेपाली जी ने हिमालय को प्रेरणा और साहस का प्रतीक माना।
- दिनकर जी ने इसे राष्ट्रीय गर्व और स्वतंत्रता की भावना से जोड़ा।
- प्रसाद जी ने इसे शांति, सौंदर्य और आध्यात्मिकता का स्थल माना।
तीनों कवियों ने अलग-अलग दृष्टिकोण से हिमालय का चित्रण किया है, लेकिन सभी ने इसकी महानता और गौरव को दर्शाया है।
प्रश्न 3. यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलने वाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर–तब से हिमालय से निकलने वाली इन नदियों में अनेक परिवर्तन आए हैं। मानव की बढती स्वार्थ प्रवृत्ति तथा उसकी बढ़ती आवश्यकताओं के कारण सभी नदियों में प्रदूषण का स्वर बहुत बढ़ गया है। तब इन नदियों का पानी जीवनदायी अमृत के समान माना जाता था। इससे नदियों के प्रति हमारी धार्मिक आस्था भी प्रभावित हुई है। इसके अलावा कुछ नदियों के मार्ग में भी बदलाव आया है।
प्रश्न 4. अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर- कालिदास ने हिमालय को देवात्मा इसलिए कहा है क्योंकि कालिदास ने अपने काव्यग्रंथ मेघदूत में अल्कापुरी को कैलाश मानसरोवर के निकट बताया है जो देव कुबेर की नगरी है। कैलाश पर्वत जो भगवान शिव का निवास माना जाता है, वह भी हिमालय पर ही स्थित है। अनेक ऋषियों-मुनियों और योगियों का आवास भी हिमालय की गुफाओं में रहा
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर- किसी नदी की तुलना अल्हड़ बालिका से उसकी निम्नलिखित समानताओं के आधार पर की जा सकती है-
(i) जिस प्रकार अल्हड़ बालिका पिता के घर में हँसती, खिलखिलाती रहती है, उसी प्रकार नदियाँ भी हिमालय पर पतली धारा के रूप में उछल-कूद करती आगे बढ़ती है।
(ii) पिता के घर से निकलकर जिस प्रकार महिलाएँ गंभीर व शांत बन जाती हैं उसी प्रकार नदी भी समतल मैदानी भागों में आकर गंभीर व शांत बन जाती है।
प्रश्न 2. नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए।
उत्तर – 2:
(i) नदियाँ हमें अमृत तुल्य जल प्रदान करती हैं, जिसे पीकर जीव-जंतु, पशु-पक्षी और हम सब अपनी प्यास बुझाते हैं।
(ii) नदियों के जल से सिंचाई करके फसलें उगाई जाती हैं।
(iii) नदियों से सीप, रेत तथा अनेक उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की जाती हैं।
(iv) नदियाँ मछुआरों आदि को आजीविका का साधन प्रदान करती हैं।
(v) नदियाँ आवागमन का मार्ग प्रदान करती हैं। प्राचीन नगरों का नदियों के किनारे बसा होना इसका उदाहरण है।
(vi) नदियाँ जलीय जीवों तथा मछलियों की आश्रयदाता हैं।
नदियों से होने वाले लाभ (निबंध)
नदियाँ प्रकृति का अनमोल उपहार हैं, जो मानव जीवन और पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नदियाँ न केवल जल का स्रोत हैं, बल्कि कृषि, उद्योग और परिवहन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारतीय समाज में नदियों को पूजनीय माना जाता है, जैसे गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र।
नदियों के पानी से खेतों की सिंचाई की जाती है, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता है। जलविद्युत परियोजनाओं के माध्यम से बिजली उत्पन्न की जाती है, जो स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है। मछली पालन और जलजीवों का संरक्षण भी नदियों के माध्यम से संभव होता है, जिससे लोगों को रोजगार मिलता है।
नदियाँ परिवहन के लिए भी उपयोगी हैं, विशेष रूप से मालवाहन और व्यापार के लिए। इसके अलावा, नदियाँ भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करती हैं और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखती हैं। पर्यटन के क्षेत्र में भी नदियों का महत्व है, क्योंकि लोग नदी तटों पर घूमने और आनंद लेने आते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी नदियों का महत्व अत्यधिक है। लोग पवित्र स्नान, पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने के लिए नदियों के तट पर जाते हैं। नदियों का स्वच्छ और संरक्षित रहना हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार, नदियाँ हमारे जीवन का आधार हैं और इनके संरक्षण के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने चाहिए।
भाषा की बात
प्रश्न 1. अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण-
- संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
- माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
- अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर- 1: “हिमालय की बेटियाँ” (himalaya ki betiyan) कविता में लेखक ने अपनी बात कहते हुए अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं।
(i) सागर की हिलोर की भाँति उसका यह मादक गान गली भर के मकानों में इस ओर से उस ओर तक लहराता हुआ पहुँचता और खिलौने वाला आगे बढ़ जाता।
(ii) बच्चे ऐसे सुंदर थे जैसे सोने के सजीव खिलौने ।
(iii) लाल कण बनावट में बालूशाही की तरह ही होते हैं।
(iv) रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाल के समान एक जाला बुन देती है।
(v) बस्ते से आँवले जैसे कँचे निकालते हुए उसने कहा- “बुरे कंचे हैं, हैं न”?
प्रश्न 2. निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं । लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे-
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
- पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूंढिए ।
उत्तर- 2:
(i) किसी लड़की को देखता हूँ किसी कली पर जब मेरा ध्यान अटक जाता है, तब भी इतना कौतूहल और विस्मय नहीं होता, जितना कि इन बेटियों की बाल लीला देखकर।
(ii) बूढ़ा हिमालय अपनी इन नटखट छोकरियों के लिए कितना सर धुनता होगा!
(iii) कितना सौभाग्यशाली है वह समुद्र जिसे पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला।
(iv) हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में भी कुछ झिझक नहीं होती है।
(v) वेतवा नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी वह प्रेयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी ।
प्रश्न 3. पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा ) का मिलान कीजिए-
उत्तर- 3:
विशेषण विशेष्य
- संभ्रांत • महिला
- चंचल • नदियाँ
- समतल • आँगन
- घना • जंगल
- मूसलाधार • वर्षा
प्रश्न 4. द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- ‘राजा- रानी’ द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी । पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर- 4:
द्वंद्व समास के उदाहरण | वर्णमाला क्रम में |
दुबली -पतली | छोटी – बड़ी |
भाव – भंगी | दुबली – पतली |
छोटी – बड़ी | नंग – धडंग |
माँ – बाप | भाव – भंगी |
नंग – धडंग | माँ – बाप |
प्रश्न 5. नदी को उलटा लिखने से दीन होता जिसका अर्थ होता है गरीब । आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे लटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे–नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)
उत्तर: 5
शब्द | सार्थक शब्द, अर्थ | (संज्ञा का नाम) |
नमी | मीन (मछली) | जातिवाचक संज्ञा |
राज | जरा (बुढ़ापा) | भाववाचक संज्ञा |
धारा | राधा (नाम) | व्यक्तिवाचक संज्ञा |
हीरा | राही (यात्री) | जातिवाचक संज्ञा |
नव (नया) | वन (जंगल) | जातिवाचक संज्ञा |
गम | मग (रास्ता) | जातिवाचक संज्ञा |
प्रश्न 6. समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए-
सतलुज, रोपड़ | विपाशा, वितस्ता, |
चिनाब, अजमेर | रूपपुर, शतद्रुम |
झेलम, बनारस | अजयमेरु, वाराणसी |
उत्तर – 6
सतलुज | शतद्रुम |
रोपड़ | रूपपुर |
झेलम | वितस्ता |
चिनाब | चंद्रभागा |
अंज़मेर | अजयमेरु |
बनारस | वाराणसी |
प्रश्न 7. ‘उनके ख्याल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
- उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। ‘इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
- इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गाँधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- 7:
उदाहरण के समान वाक्य | विश्लेषण |
1. (क) घर वाले शायद ही समझ सके कि मैंने उससे शादी क्यों की। (ख) मेरे मित्र शायद ही जान सकें कि मैं अपनी पढ़ाई कैसे पूरी कर रहा हूँ। (ग) ठेकेदार को शायद ही ज्ञान हो कि मजदूरी न मिलने पर मज़दूर कैसे दिन बिता रहे हैं? 2. (क) अदरक के गुणों से कौन परिचित नहीं है? (ख) पैसों की आवश्यकता कौन नहीं जानता है? (ग) जीवन में शिक्षा की उपयोगिता का ज्ञान किसे नहीं है? | (क) घरवाले शायद न समझ सकें। (ख) मेरे मित्र शायद न जान सकें। (ग) ठेकेदार को शायद ज्ञात नहीं है। 2. (क) अदरक के गुणों से सभी परिचित हैं। (ख) पैसों की आवश्यकता सभी जानते हैं। (ग) जीवन में शिक्षा की उपयोगिता सभी को है। |